
माफिया अतीक अहमद व अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद से ही कई सवाल उठने लाजमी है। जहां लोगों का कहना है कि हत्या के दौरान पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अपराधियों पर फायरिंग क्यों नही की? मेडिकल के लिए ले जाते वक्त पुलिस जीप अस्पाताल के परिसर के अंदर तक क्यों नही लेकर गए? मेडिकल टीम को भी बुलवाया जा सकता था वगैरा-वगैरा। हालांकि अतीक-अशरफ की हत्या पर जांच कमेटी तफ्तीश करके अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, जिससे पहले किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी कहलाएगा।

अब यहां बहुत से लोग योगी सरकार पर यह आरोप लगा रहे है उन्होंने ही प्लानिंग करके अतीक-अशरफ को मरवाया है अगर योगी सरकार अतीक-अशरफ को मरवाना चाहती तो वह पुलिस कस्टडी में यू सबके सामने लाईव इस हत्या को करवाकर समस्या मोल नही लेती। अब यहां एक बात और सोचने वाली है कि आखिर अतीक-अशरफ की हत्या से किसको लाभ मिलता? क्योंकि अतीक अहमद की कद-काठी में जो बढ़ोतरी हुई है उसमें ज्यादातर गैर-भाजपा दलों का ही हाथ रहा है और राजनीति में कोई भी कार्य बिना मकसद के नही होता। ऐसे में अतीक को जो राजनैतिक दलों, नेताओं और अधिकारियों आदि का संरक्षण मिला, उसमें राजनैतिक दलों का भी कोई न कोई निजी हित भी रहा होगा। ऐसे में कई कयास लगाए जा सकते है कि अतीक अपनी रिहाई के लिए कई नेता व अधिकारी पर दबाव बना रहा हो या फिर अतीक से उन्हें किसी बात का डर रहा हो, जिस कारण उन्होंने अतीक को रास्ता से हटाना ही उचित समझा हो। इस हत्याकांड से कई सवाल खड़े होते है अब देखने दिलचस्प होगा कि जांच रिपोर्ट में क्या बात सामने आती है।