
अपराधियों के लिए जेल प्रणाली इसलिए होती है ताकि वह अपने अपराध की गंभीरता को समझे और अहसास करे कि उनसे कुछ बहुत गलत हुआ है। हर देश में जेल की व्यवस्था होती है ताकि अपराधियों को बाकी लोगों से दूर रखा जाए, जिससे समाज को उनसे कोई खतरा न रहे। इसके साथ ही अपराधी के अंदर डर बिठाया जाता है जिससे वे अपराध करने से बचे।
मगर भारतीय जेल सिस्टम में आज भी बड़ी समस्याए देखने को मिलती, जहां देश की जेले अपराधियों को सुधारने का काम करती है वही आज कुछ जेलों के माध्यम से अपराधी और ज्यादा खूंखार अपराधी बनते जा रहे हैं। ऐसे अपराधियों की कड़ी में कई ऐसे अपराधी है जिन्हें जेल जाने से पहले तक कोई जानता तक नहीं था। यहां बात की जाए लॉरेंस बिश्नोई की तो जेल जाने से पहले तक उसे कोई नहीं जानता था और न ही वह इतना बड़ा अपराधी कहलाता था मगर जेल जाने के बाद उसने अपने गैंग का और ज्यादा मजबूत किया। कई बड़ी हमले व हत्याओं को उसने अंजाम दिया। मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में भी लॉरेंस बिश्नोई व गोल्डी बरार गैंग का ही हाथ था जिसके बाद से यह काफी चर्चा में आया अब यहां सवाल यह उठता है कि आखिर जेल में रहते हुए, अपराध की दुनिया को यह कैसे संचालित करता है? जाहिर सी बात है इसमें कई बड़े अधिकारियों का हाथ जरूर होगा। खबरों में बने रहने के लिए भी लॉरेंस ऐसा करता है इसके साथ ही सलमान खान हो या दूसरे सेलिब्रेटी वह कई लोगों को जान से मारने की धमकी दे चुका है। इसी के साथ सुकेश हो या फिर दूसरे बड़े अपराधी आखिर जेल में इन्हें यह सब सुविधा मिल कैसी जाती है कि यह तमाम ऐशों आराम के साथ अपने अपराधिक कार्यों को जारी रख पाते हैं। इसी कड़ी में हम ताज़ा उदाहरण अतीक-अशरफ का ले सकते है कि कैसे जेल में रहते हुए उसने कई लोगों से मुलाकात की अपने गैंग को संचालित किया। ऐसे अपराधियों का रसूख राजनैतिक दलों के सहयोग के कारण और ज्यादा बड़ जाता है, राजनैतिक दल भी इन्हीं लोगों की बदौलत चुनाव को प्रभावित करते हैं। जिस कारण इन्हें जेल के अंदर व बाहर कई तरह की सुविधा मिलती है जैसे बिहार में आनंद मोहन सिंह की रिहाई कानून में संशोधन करके। इसी कारण जेल सिस्टम को लेकर समय-समय पर कई आरोप लगते रहते हैं। जहां हम देखते है कि नेताओं व वीआईपी लोगों के लिए जेल कोई कैदखाना ना होकर तमाम ऐशो-आराम का गढ़ बन जाता है। जिस कारण लोगों का न्याय व्यवस्था पर से भी विश्वास डगमगाता है, उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि अगर ताकतवर लोग जुर्म करेंगे तो उन्हें सजा नहीं मिलेंगी और अगर सजा मिली भी तो मात्र खानापूर्ति के लिए। अगर जेल सिस्टम को दुरुस्त करना है तो अधिकारियों व नेताओं में शामिल भष्ट्राचार को जड़ से खत्म करना होगा साथ ही अपराधियों के द्वारा जेल के अंदर या बाहर रहते हुए न्याय व्यवस्था को प्रभावित होने से बचाकर और उनके अंदर कानून का डर पैदा कर हम तमाम व्यवस्था को बेहतर और मजबूत कर पाएगें।
- मोहम्मद हमज़ा, अमर भारती समूह प्रस्तुति