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भारत को आत्म-मंथन का सबक देता चैट जीपीटी

इंटरनेट के दौर में वर्तमान समय नई-नई क्रांतियों को अंजाम दे रहा है, आज के समय कोई काम नामुमकिन नजर नही आता चाहे वो नित नवीन तकनीक हो या फिर समाज के प्रगति के कार्य, हर क्षेत्र में इंटरनेट नींव का पत्थर बनकर मानव को नई ऊचाईयों पर पहुंचा रहा है। मगर यह कितना सुरक्षित है तकनीक के बदलते स्वरूप में अब  एक नाम (चैट जीपीटी) का है जो रोज नए-नए कारनामों को अंजाम दे रहा है, चैट जीपीटी के आते ही हर रोज यह अपने कार्य को लेकर चर्चा का विषय बना रहता है। चैट जीपीटी 3.5 जोकि सिर्फ लिखित सवालों के ही उत्तर दे रहा था, इसी कड़ी में चैट जीपीटी 4 तो उससे एक कदम और आगे निकल गया। जहां एक और  चैट जीपीटी 3.5 लिखित फॉर्म तक ही सीमित था वही जीपीटी 4 तो लिखित के साथ चित्र माध्यम का भी उत्तर दे रहा है। जोकि मानव जीवन को और ज्यादा सरल, सहज बना रहा है। हालांकि चैट जीपीटी में अभी और विकास की जरूरत है मगर भारत के संदर्भ में देखे तो इसमें भारतीयों को कोई खास योगदान नही है। इसलिए अगर हमें चैट जीपीटी को लेकर आगे बढ़ना है तो इसे विकसित करने की जरूरत है। चैट जीपीटी में भारतीय भाषाओं को शामिल करना साथ ही साथ लोगों का  निजी जानकारी भी सुरक्षित रहे, इसी प्राथमिकता के साथ भारत को आगे बढ़ने की जरूरत है। अगर भारत पश्चिम देशों की तकनीक के भरोसे बैठा रहेगा तो इससे दुसरों पर निर्भरता बढ़ेगी साथ ही भारतीयों व भारत  के निजी डाटा सुरक्षा को भी खतरा पहुंचने का डर बना रहेगा। इसलिए समय रहते हमें अपने आप को और ज्यादा विकसित करने की जरूरत है। इसके साथ ही तकनीक के साथ आगे बढ़ना है सूचना समाज के इस दौर  में सबसे ज्यादा ताकतवर वही है जिसे सबसें तीव्र सूचना प्राप्त हो।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  के बढ़ते प्रयोग ने कुछ गंभीर समस्या को भी जन्म दिया है जैसे लोगों की निजी जानकारी प्राप्त करना, सोचने समझने की शक्ति को सीमित करना, आपकी पसंद और ना पसंद का ज्ञान रखना इत्यादि। इन्हीं सब तथ्यों को जुटाकर ही चैट जीपीटी व अन्य प्लेटफॉर्म काम करते है। मगर यह सब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  के कारण संभव हो  पाता है मगर कई जालसाजी फर्म इन सब निजी डाटा को चुराकर विश्व बाजार में अरबों-खरबों में बेचती है, जिनका वे गलत उद्देश्य के लिए अपने मन-मुताबिक प्रयोग करते है। इस उदाहरण के माध्यम से इसे आप और बेहतर ढ़ग से समझ सकते है कि दुनिया भर में जितने साइबर हमले होते है उसमें से 60 फीसदी मामले भारत में दर्ज होते है। इन हमलों की संख्या में हर पल इजाफा होता जा रहा है। आकड़े बताते है कि भारत में पिछले 5 सालों में साइबर हमलों की घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, नेशनल साइबर एजेंसी (CERT-In) के मुताबिक भारत में हर दिन करीब 2 लाख साइबर हमले से सम्बंधित मामले सामने आते है।

तकनीक में जैसे-जैसे विकास हुआ साइबर हमलों के ठगों ने  नए-नए तरीकों को अपनाकर साइबर अपराध में बेतहाशा वृद्धि की। जागरूकता की कमी के कारण भारत का लगभग हर पांचवा व्यक्ति इसका शिकार होता है। साइबर अपराध के कई मामलों में तो वह रिपोर्ट तक दर्ज नही करवाते तो कई लोग अपनी इज्जत बचाने या कई गुप्त जानकारी से पर्दा ना उठने के कारण सामने नही आते। साइबर अपराध की गंभीरता और नई तकनीकों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने के लिए हमें डाटा प्रोटेक्शन के लिए कठोर नियम बनाने पड़ेगें। इसके साथ ही नित-नवीन प्रौद्योगिकी के साथ कदमताल करते हुए सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना भी है, क्योंकि यही हमें विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करने में मदद करेंगी।

-मोहम्मद हमज़ा (अमर भारती समूह, प्रस्तुति)   

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