
दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे। ऐसा नारा देने वाले अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की आज जन्मतिथि है।महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का नाम बहादुरी, राष्ट्रभक्ति और बलिदान का पर्याय है। उनके हृदय में देश व मातृभूमि के लिए इतना प्रेम था कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र से ही अंग्रेज़ों के विरुद्ध लोहा लेना शुरू किया और फिर अपना सम्पूर्ण जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।बचपन में आजाद महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। दिसंबर 1921 में जब गांधी जी के असहयोग आंदोलन का शुरूआती दौर था, उस समय महज 14 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर इस आंदोलन का हिस्सा बन गए। इसमें अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार भी किया और फिर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। यहां पर उन्होंने मजिस्ट्रेट के सवालों के जो जवाब दिए उसको सुनकर मजिस्ट्रेट भी हिल गया । दरअसल, जब आजाद को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो उसने पहले उनका नाम पूछा। जवाब में उन्होंने कहा ‘आजाद’। मजिस्ट्रेट का दूसरा सवाल था पिता का नाम आजाद बोले “स्वतंत्रता”। जब मजिस्ट्रेट ने तीसरे सवाल में उनके घर का पता पूछा तो उनका जवाब था जेलखाना। उनके इन जवाबों से मजिस्ट्रेट बुरी तरह से तिलमिला गया और उन्हें 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई। हर कोड़े की मार पर वह ‘वंदे मातरम’ और ‘महात्मा गांधी की जय’ बोलते रहे। इसके बाद ही उनके नाम के आगे आजाद जोड़ दिया गया। देश के प्रति उनकी शहादत को हमारा शत् शत् नमन।