
नई दिल्ली। दुनिया में क्यूबा पहला ऐसा देश है, जिसने दो साल की आयु के छोटे बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगाने की इजाजत दी है। क्यूबा की आबादी 1.12 करोड़ है और वहां बच्चों के स्कूल खोलने से पहले सभी को टीका लगाने की तैयारी हो रही है। वहीं चिन ने 6 से 12 साल के बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन लगाने की इजाजत दे दी है। बच्चों को चीनी सिनोवैक वैक्सीन लगाई जाएगी।
क्यूबा में बच्चों को स्वदेश में विकसित कोविड टीका लगाया जाएगा, जिसको विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त नहीं है। अभी टीवी कार्यक्रमों के जरिये ही बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, क्योंकि क्यूबा में अभी भी ज्यादातर घरों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है। क्यूबा ने स्वदेशी अबदाला और सोबरोना वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो गया।
कम्युनिस्ट देश ने शुक्रवार से12 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू भी कर दिया। 2 से 11 साल के बच्चों को कोरोना का टीका लगाने का मिशन भी प्रारंभ किया गया। चीन, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला ने भी छोटे बच्चों को वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम शुरू किया है, लेकिन क्यूबा ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना है।
ये वैक्सीन प्रोटीन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं, अमेरिकी टीका नोवावैक्स और फ्रांस की सनोफी है। लेकिन उन्हें अभी तक डब्ल्यूएचओ से स्वीकृति नहीं मिली। इन वैक्सीनों को बेहद ठंडे तापमान में रखने की जरूरत नहीं होती है। क्यूबा में मार्च 2020 के बाद से ही ज्यादातर स्कूल बंद हैं और पिछले साल के अंत में कुछ वक्त के लिए इन्हें खोला गया था, लेकिन महामारी के नए दौर के बाद इन्हें फिर बंद कर दिया गया था। सभी बच्चों को टीका देने के बाद क्यूबा सरकार ने ऐलान किया है कि सारे स्कूल अक्टूबर-नवंबर में खोले जाएंगे।