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आखिर कन्नौज को इत्र नगरी क्यों कहा जाता है?

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बसा है इत्र की राजधानी कहा जाने वाला कन्नौज , इत्र की कहानी बहुत पुरानी है। इत्र के बारे में मुगल बादशाह जहांगीर का कहना था, ‘यह टूटे दिलों को जोड़ता है और सुकून देता है।

दुनिया का सबसे मंहगा इत्र कहां बनता है?

दुनिया का सबसे मंहगा इत्र उत्तरप्रदेश के कन्नौज जिले में बनाया जाता है। यहां के इत्र की खुशबू पूरे दुनियाभर में मशहूर है। यहां दुनिया के सबसे महंगे इत्र से लेकर सबसे सस्ते इत्र बनाए जाते हैं, इसलिए इसे इत्र नगरी भी कहा जाता है। यहां पर इत्र का बड़े स्तर पर कारोबार होता है। कन्नौज में इत्र कारोबार की करीब 200 से अधिक इकाइयां मौजूद हैं। इत्र बनाने के लिए यहां कई शहरों से फूल और लकड़ियां मंगाई जाती हैं।

जाने पूरी दुनिया मे आखिर क्यों खास है कन्नौज का इत्र

कन्नौज का इत्र पूरी दुनिया में इसलिए प्रसिद्रध है क्योंकि यह प्राकृति के गुणों से भरपूर होता है। इसमें अल्कोहल का प्रयोग नहीं किया जाता। यहां के इत्र को लोग बेचैनी और तनाव से बचने के लिए भी खुशबू लेते हैं। यहां पर सबसे महंगा इत्र ‘अदरऊद’ है। इसे असम की खास लकड़ियों से तैयार किया जाता है। इसके एक ग्राम इत्र की कीमत 5000 रुपये है।

मिट्टी से भी बनाया जाता है इत्र

जब बारिश की बूंदें कन्नौज की मिट्टी पर पड़ती हैं, तो यहां की मिट्टी से भी खास तरह की खुशबू निकलती है। इसलिए यहां की मिट्टी से भी इत्र बनाया जाता है। इसके लिए तांबे के बर्तनों में मिट्टी को पकाया जाता है। उसके बाद मिट्टी से निकलने वाली खुशबू को बेस ऑयल के साथ मिलाया जाता है। इस तरह से यहां पर मिट्टी से इत्र बनाने कि प्रक्रिया चलती है। यहां के इत्र की सप्लाई यूके, यूएस, सउदी अरब, ओमान, इराक, इरान समेत कई देशों में की जाती है। इत्र का इस्तेमाल कॉस्मेटिक के साथ-साथ गुटखा और पान मसाला बनाने में भी किया जाता है।

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