
हमारे शरीर का संचालन मस्तिष्क के द्वारा किया जाता है। यह 24 घंटे काम करता है। चेतन और अचेतन अवस्था दोनों में। इसे सदैव.सकारात्मक रूप से गतिशील रखना आवश्यक है। खासतौर पर बढ़ती उम्र में। नहीं तो केमीकल लोचा हो जाता है।
जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है। यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है। स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है। यह मुख्य ज्ञानेन्द्रियों, आँख, नाक, जीभ और कान से जुड़ा हुआ, उनके करीब ही स्थित होता है। मानव मस्तिष्क में लगभग १ अरब (१,००,००,००,०००) तंत्रिका कोशिकाएं होती है, जिनमें से प्रत्येक अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से १० हजार (१०,०००) से भी अधिक संयोग स्थापित करती हैं। मस्तिष्क सबसे जटिल अंग है।
यह निश्चित ही हम सभी के पास है और सदैव कार्यशील भी रहता है। शरीर के अन्य अंग शिथिल हो जाते हैं पर यह एक्टिव रहता है।
सही ढंग से कार्य करने के लिए हमारे दिमाग को हमेशा ऑक्सीजन की जरूरत होती है और रक्त प्रवाह के जरिये ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचता है। उसकी रक्तवाहिका नलियों में ब्लड क्लॉटिंग या उनके फटने की वजह से ब्रेन की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और वे तेजी से नष्ट होने लगती हैं। अतः हमें सदैव प्रयास करना चाहिए कि दिमाग को भरपूर आक्सीजन मिले।
दिमाग को भरपूर आक्सीजन हेतु हमें सतत् व्यायाम की आवश्यकता है। व्यायाम में योगासन और प्राणायाम आवश्यक हैं। बढ़ती उम्र में योगासन की क्षमता कम होती है प्राणायाम तो किसी भी उम्र में किया जा सकता है। इस हेतु गूगल और यूट्यूब पर ढेर सारी जानकारी और वीडियो उपलब्ध हैं। जिनकी आवश्यकता लेनी ही चाहिए। जब तक साँस है, प्राणायाम किया जा सकता है।
अतः हमारे मस्तिष्क को सकारात्मक रूप से एक्टिव रखें और स्वस्थ एवं निरोगी रहें।