
अन्तर्मना उवाच- आदमी तो घर घर पैदा हो रहा है, बस इंसान और इन्सानियत कहीं कहीं जन्म लेती है।
अन्तर्मना उवाच (04 जून श्रुत पंचमी विशेष)
चोट करना भी बहुत जरूरी है..
अन्यथा पत्थर परमात्मा कैसे बनेगा..!
कभी कभी ज्यादा तारीफ भी हमारी उन्नति में बाधक बन जाती है।
आदमी तो घर घर पैदा हो रहा है, बस इंसान और इन्सानियत कहीं कहीं जन्म लेती है।
इतिहास साक्षी है - जटायु पक्षी और भीष्म पितामह का। जब रावण सीता को लेकर जा रहा था, तब जटायु ने अपने प्राणों की परवाह किये बिना ही रावण से भिड़ गया था सीता को बचाने के लिये। इसके विपरीत देखें - जब भरी सभा में द्रौपदी का चीर-हरण हो रहा था,, उस सभा में सबसे वरिष्ठ और परम पराक्रमी भीष्म पितामह मूकदर्शक बनकर बैठे हुए थे। अपनी कुलवधू के ऐसे अपमान पर उन्हें मौन होकर नहीं, मुखर होकर सामने आना चाहिए था। उन्हें भी जटायु की भान्ति अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन कर उस दुष्कर्म को रोकने का प्रयास करना चाहिए था। भीष्म पितामह तो इतने बड़...