
नई दिल्ली. वितरण में देरी के लगे आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के बीच विदेशों से आई चिकित्सकीय मदद के आवंटन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी.
आलोचकों ने मेडिकल मदद के आवंटन में पारदर्शिता की कमी और लाल फीताशाही का आरोप लगाया है यहां तक कि अमेरिका में व्हावइट हाउस की ब्रीफिंग के दौरान भी इस बारे में सवाल उठे थे.
दिल्ली हाइकोर्ट ने भी सोमवार को इस मसले का जिक्र हुआ था, एक अस्पिताल ने दावा किया था कि करीब 3000 ऑक्सीनजन concentrators की बेहद जरूरत है लेकिन यह कस्टम डिपोर्टमेंट के पास हैं.
इस बीच सरकार ने कोविड से संबंधित सामग्री के क्लीयरेंस में किसी भी देर से इनकार किया है.
सूत्रों ने की जानकारी के अनुसार विदेशी मदद के साथ 20 फ्लाइट आई हैं, इसमें 900 ऑक्सीजन सिलेंडर्स, 1600 कंसनट्रेटर्स, 1217 वेंटीलेटर्स और जरूरी दवाएं हैं लेकिन बड़ी संख्या में ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स और रिमडेसिविर, कस्टम के पास अटके हैं.
अधिकारियों ने संगतता संबंधी समस्याम को देरी का कारण बताया है. सरकार की ओर से कहा गया कि विदेशों से मदद के ऑफर के मामले में विदेश मंत्रालय नोडल एजेंसी है.
इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेश से आने वाली कोविड रिलीफ मेटेरियल, ग्रांट, मदद और डोनेशनल की प्राप्ति और आवंटन के लिए एक सेल का गठन किया है. इसकी प्रक्रिया यह है.
- खेप (Consignments)को एयरपोर्ट पर इंडिया रेड क्रास सोसाइटी द्वारा रिसीव किया जाता है, वह इसे HLL Lifecare Limited को सौंपती है जो स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए कस्टम्स एजेंट और डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजर है.
- कस्टम्स डिपार्टमेंट उच्च प्राथमिकता के आधार पर माल को क्लीयर करता है. कस्टम्स ने इस चीजों पर से बेसिक ड्यूटी और हेल्थ सेस माफ किया है.
- Consignments को एयरपोर्ट से वितरण के लिए HLL को सौंपा जाता है.
- इन्हें अपपैक, रीपैक और डिस्पैच जैसे काम कम से कम समय में पूरा करने का प्रयास किया जाता है.
- समान वितरण सुनिश्चित करते हुए और क्षेत्रीय हेल्थकेयर फैसिलिटी के लोड को ध्यान में रखते हुए आवंटन किया जाता है.