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दिल्ली हाई कोर्ट की केंद्र को लगाई फटकार

नई दिल्ली. दिल्ली में कोरोना से हालात बेकाबू हैं. इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जैसे हालात बने हैं उनके चलते अदालत रोजाना सुनवाई करेगी् वहीं केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों को छोड़ कर अन्य उद्योगों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई पर 2 अप्रैल से रोक लगी हुई है, ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए, पीएम CARES फंड्स के समर्थन से दिल्ली में 8 PSA ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए जा रहे हैं.

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का पहले टेस्ट हो उनकी रिपोर्ट पहले तैयार कर दी जाए. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या आर्थिक हित लोगों की जान से ऊपर नहीं हैं. आप इतना असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं.

आधिकारिक तौर पर 130 करोड़ में से दो करोड़ केस भी नहीं हुए हैं. अगर इसके पांच गुणा भी मान लें तो दस करोड़ होंगे. हम आपदा की तरफ जा रहे हैं. हमारी प्राथमिकता जान बचाने की होनी चाहिए. हम सरकार नहीं चला रहे हैं लेकिन सरकार कदम नहीं उठा रही है. हर दस दिन में संख्या डबल हो रही है.

कोर्ट ने कहा, ‘हम ये नहीं कह रहे कि स्टील और पेट्रोलियम को बंद कर दीजिए. हम ये कह रहे हैं कि इनमें उत्पादन कम कर दें. कुछ हफ्तों के लिए ये होगा तो आपके प्लांट चालू हो जाएंगे. हमें नहीं लगता कि इससे कोई नुकसान होगा. यदि लॉकडाउन लगेगा तो स्टील और पेट्रोलियम कहां बिकेंगे.’

सुनवाई के दौरान जस्टिस विपिन सांघी ने कहा, ‘हमारे परिवार के लोग लैब से जुड़े हैं. उनसे पता चला है कि मरीज के ब्योरे के लिए ICMR का पेपर वर्क बहुत समय लेता है. जब आधार कार्ड में है तो फिर अलग से ब्योरा देने की क्या जरूरत है? ये नौकरशाही और अविवेकपूर्ण तरीका है.

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा, ‘ये असाधारण हालात हैं. लैब की क्षमता को लेकर जरूरी कदम उठाएं.’ जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि नई लैब नहीं यहां तो जो लैब की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, वो भी इंतजार कर रहे हैं. बॉम्बे में लैब के लिए विदेश से मशीनें मंगाई हैं लेकिन चार दिनों से कस्टम उन्हें क्लीयर नहीं कर रहा. ICMR को भी कार्रवाई आसान करनी चाहिए.’

इस पर केंद्र सरकार ने कहा कहा कि इस संबंध में तुरंत कदम उठाए जाएंगे और आज ही शाम तक आदेश जारी किए जाएंगे.

जस्टि स सांघी ने NDTV की खबर का हवाला देते हुए कहा कि 44 लाख वैक्सीन बर्बाद हो गई हैं, ये मुझे मेरे मोबाइल पर आया है. हाईकोर्ट में चल रही वैक्सीन से ही अंदाजा लगा सकते हैं. दस करोड़ में से 44 लाख की बर्बादी बड़ी बर्बादी है.

हाई कोर्ट ने कहा, ‘अमेरिका में बच्चों को भी वैक्सीन लग रही है. इस बार बच्चों को भी प्रभावित किया गया है. जान बचाने वाली एक शॉट भी क्यों बर्बाद हो. आप भले ही नया वॉयल ना खोलें, कम से कम जो बच गए हैं, उन्हें तो बर्बाद होने से बचाएं. हम बहुमूल्य वक्त खराब कर रहे हैं. आजकल वैक्सीन करने में कमी आई है. हम उनके लिए वैक्सीन सुविधा बढ़ाने की बात कर रहे हैं जो इसे चाहते हैं. ये महामारी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती. हम वैक्सीन सबके लिए चाहते हैं लेकिन ये चरणों में होता है ताकि अफरातफरी ना हो. जो भी वैक्सीन चाहता है उसे दें चाहे वो कोई भी हो.

जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा, ’18 साल से ऊपर वालों को दस दिन बाद क्यों, अभी क्यों नहीं शुरू कर सकते. आपको ये अभी से शुरू करना चाहिए. जस्टिस सांघी ने कहा, ‘6 फीसदी बर्बादी बहुत होती है. कई अस्पताल हैं जिनमें जा कर रजिस्टर कराकर वैकसीन ले सकते हैं. 45 साल से कम के लोग जो वालंटियर करते हैं कि वो वैक्सीन लगवाने को तैयार हैं तो उनको वैक्सीन क्यों ना लगाई जाए.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना के लिए दवाओं की कालाबाजारी और कमी पर केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि रेमिडेसिवि‍र व अन्य दवाओं की कमी और कालाबाजारी के लेकर सरकार कार्रवाई करे. लोग जीवन रक्षा दवाओं के लिए भारी कीमत चुका रहे हैं.

इस पर केंद्र ने कहा कि रेमिडेसिविर को लेकर डॉक्टरों की रॉय अलग है. ये नुकसानदायक है. तब हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला नहीं है. आज का मामला ये है कि डॉक्टर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और इसकी कालाबाजारी हो रही है. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा, हमें विश्वास है कि आप सभी जगहों पर बराबर दवा दे रहे हैं. ऐसा ना हो कि एक क्षेत्र में ज्यादा भेजें दूसरे में कम.

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