
नई दिल्ली। एनकाउंटर में गैंगस्टर विकास दुबे को ढेर करने वाली पुलिस की टीम को क्लीन चिट मिल गई है. रिटायर्ड जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग ने 797 पेज की रिपोर्ट सौंपी है। जांच रिपोर्ट में विकास दुबे से मिलीभगत करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है. जांच आयोग ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि विकास दुबे और उसकी गैंग को लोकल पुलिस के साथ ही जिले के राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण मिला हुआ था. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि विकास दुबे पर कार्रवाई पुलिस और प्रशासन की अनदेखी का नतीजा था. विकास दुबे सर्किल के टॉप टेन अपराधियों में शामिल था लेकिन जिले के टॉप टेन अपराधियों की सूची में नहीं था. विकास दुबे और उसके गैंग पर 64 मुकदमे दर्ज थे लेकिन विकास दुबे के लोग शांति समितियों के भी सदस्य थे. विकास दुबे के विरुद्ध दर्जनों मुकदमों में चार्जशीट से पहले ही कई गंभीर धाराएं हटा दी गईं विकास दुबे की जमानत निरस्त कराने के लिए कभी उच्च अदालतों में अपील नहीं की गई. विकास दुबे की मुठभेड़ को फर्जी बताने वाली उसकी पत्नी रिचा दुबे ने भी जांच आयोग के सामने अपना पक्ष नहीं रखा।
जांच आयोग ने बिकरू कांड मामले में 132 पेज की रिपोर्ट बनाई है. जिसमें पुलिस और न्यायिक सुधार संबंधी कई सिफारिशें की गई हैं. रिपोर्ट के साथ ही 665 पेज की फेक्चुअल जानकारी भी राज्य सरकार को सौंपी गई है. बता दें कि बिकरू कांड की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया गया था. इसमें हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता भी शामिल थे. कानपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 की रात को रेड मारने गए 8 पुलिसकर्मियों की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. मामले की जांच के लिए ही आयोग का गठन किया गया था. अब जांच आयोग ने एनकाउंटर करने वाली पुलिस की टीम को क्लीन चिट दे दी है.