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आईपीएस परमबीर सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

कोर्ट ने वकील से कहा- आप सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए, हाईकोर्ट क्यों नहीं गए

मुंबई। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर अवैध उगाही का आरोप लगाने वाले आईपीएस परमबीर सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में परमबीर सिंह अब बॉम्बे हाईकोर्ट जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए परमबीर सिंह को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि इन्होंने हाईकोर्ट में कल ही सुनवाई की मांग की है। अगर यह आवेदन देते हैं तो हाईकोर्ट देखे कि सुनवाई कब हो सकती है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह के वकील मुकुल रोहतगी से सवाल किया कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए, हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। इस पर रोहतगी ने कहा कि हम हाईकोर्ट चले जाएंगे आप कल सुनवाई का आदेश दीजिए।

परमबीर के वकील मुकुल रोहतगी से कोर्ट ने सवाल किया- सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए? देशमुख को पार्टी क्यों नहीं बनाया?

रोहतगी- आधे घण्टे में देशमुख को पार्टी बनाते हुए संशोधित आवेदन दाखिल कर दूंगा। अब सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर जवाब देता हूँ। यह देश पर असर डालने वाला मसला है। एंटिला विस्फोटक कांड की जांच एनआईए कर रही है। एक और आईपीएस रश्मि शुक्ला देशमुख पर ट्रांसफर, पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुकी है।

जस्टिस कौल- दिक्कत यह है कि प्रकाश सिंह (पुलिस सुधार) मामले में हमारे फैसले को कोई राज्य लागू नहीं कर रहा है। इसे रहने दीजिए लेकिन सवाल यही है कि आप हाईकोर्ट में क्यों नहीं गए?

मामले में आवेदन करने वाले एक और वकील सदावर्ते- हमने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। मामला वहीं चलना चाहिए।

रोहतगी- पुलिस पर दबाव की समस्या राष्ट्रीय है। बंगाल में भी अधिकारी ऐसी बात कह चुके हैं।

जस्टिस कौल- हाईकोर्ट को भी शक्ति हासिल है।

रोहतगी- हम आज ही हाईकोर्ट में आवेदन देंगे। आप कल ही सुनवाई के निर्देश दे दीजिए।

कोर्ट का आदेश- हमने पूछा कि देशमुख को पक्ष क्यों नहीं बनाया। रोहतगी ने संशोधित आवेदन देने की बात कही। लेकिन हमारी राय है कि हाईकोर्ट यह मामला देख सकता है। हम सहमत हैं कि मामला गंभीर है। हम याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे रहे हैं। इन्होंने हाईकोर्ट में कल ही सुनवाई की मांग की है। अगर यह आवेदन देते हैं तो हाईकोर्ट देखे कि सुनवाई कब हो सकती है।

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