
नई दिल्ली. कोरोना महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) को बुरी तरह प्रभावित किया है. वित्तिय वर्ष 2021 में भारत की विकास दर -7.3% रही जो पिछले चार दशक से अधिक समय में यह सबसे खराब प्रदर्शन है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई. हालांकि राहत की बात रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में पॉजिटिव मोड में आ गई. जनवरी से मार्च 2021 के चौथे क्वार्टर में विकास दर 1.6% दर्ज की गई.
वित्त वर्ष 2019-20 में चार प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी जो 11 वर्ष के लिहाज से सबके कम थी. अर्थव्यवस्था के लिहाज यह खराब प्रदर्शन मैन्युजफेक्चीरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के संकुचन के कारण था.
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले क्वार्टर में विकास दर झटका खाते हुए 24.38 रही थी. देश का वित्तीय घाटा 78 हजार करोड़ रुपये का रहा है, जो पिछले साल के 2.9 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले काफी कम है. अप्रैल में आठ कोर इंडस्ट्री यानी आठ मूलभूत उद्योगों की वृद्धि दर की बात करें तो यह 56.1 फीसदी रहा है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय National Statistics Office (NSO) द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 की जीडीपी ग्रोथ रेट का यह आंकड़ा जारी किया गया है. इससे पता चलता है कि 1980-81 के बाद पहली बार जीडीपी ऋणात्मक रहते हुए सिकुड़ गई है.
यानी इसमें बढ़ोतरी के बजाय कमी आई है. आठ बुनियादी सेक्टरों कोयला, क्रूड, प्राकृतिक गैस, रिफायनरी प्रोडक्ट, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट, बिजली की ग्रोथ रेट मार्च में 11.4 के मुकाबले अप्रैल में 56.1 फीसदी रही है. नेचुरल गैस, स्टील, सीमेंट और बिजली के क्षेत्र में प्रदर्शन शानदार रहा.