
नई दिल्ली। जहां एक तरफ बेटियां सैनिक स्कूल में पढ़ने को भी तैयार हैं वहीं कुछ लोग उनके ‘को-एड’ स्कूलों में पढ़ने पर भी रोक लगाना चाहते हैं।
जी हाँ हमारे देश में ही कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो तालिबान के तौर- तरीको पैरवी करते दिख रहें हैं। सोमवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद (JUH) के अध्यक्ष अरशद मदनी की अपील में भी कुछ इसी तरह की सोच दिखाई दी। मदनी ने सभी गैर-मुसलमानों से अपनी बेटियों को अश्लीलता से बचाने के लिए सह-शिक्षा (को-एजुकेशन) स्कूलों में नहीं भेजने की अपील की है। उन्होंने लड़कियों को उनके लिए बने अलग स्कूलों में ही भेजने पर जोर दिया। अरशद मदनी ने यह अपील ऐसे समय की है जब तालिबान ने अफगानिस्ता न में सह-शिक्षा पर बंदिश लगा दी है। तालिबान ने यह फरमान भी जारी किया है कि वहां पुरुष महिला छात्रों को नहीं पढ़ाएंगे। लड़के और लड़कियों को साथ पढ़ने की इजाजत नहीं होगी। यह कदम प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी लेवल तक लागू होगा। अरशद मदनी की अपील में भी कुछ इसी तरह की सोच दिखाई दी।