
जिस तरह से श्रावण मास में भगवान शिव की भक्ति होती है, उसी तरह से भाद्रपद मास में श्रीकृष्ण की आराधना का महत्व होता है। इस बार 30 अगस्त, कृष्ण जन्माष्टमी पर देशभर में बड़े धूम-धाम से मनाई जाएगी। भगवान विष्णु ने कृष्ण जी के रूप में आठवां अवतार लिया था। कंस के वध के लिए भगवान विष्णु जी ने कृष्ण अवतार लिया था, जिसकी आकाशवाणी पहले ही हो गई थी। जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे कारगार के सभी ताले टूट गए और कारगार की सुरक्षा में खड़े सभी सैनिक गहरी नींद में सो गए।
श्री कृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे क्यों हुआ
श्री कृष्ण ने द्वापर युग में रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया। उस दिन आकाश में बादल छा गए, तेज बारिश होने लगी और बिजली कड़कने लगी। धार्म के अनुसार श्री कृष्ण चंद्रवंशी थे और वे बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। इसके अनुसार रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी और नक्षत्र हैं, जिस कारण श्री कृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया। चंद्रमा रात में निकलता है और उन्होंने अपने पूर्वजों की उपस्थिति में जन्म लिया था। ऐसा कहा जाता है कि चंद्र देव की इच्छा थी, कि श्री हरि विष्णु भगवान मेरे कुल में कृष्ण रूप में जन्म लें और मैं उनका प्रत्यक्ष दर्शन कर पाऊँ।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है
भक्त गण पूरा दिनगण पूरा दिन उपवास करते हैं। रात्री 12 बजे तक भगवान श्री कृष्ण जी का जागरण, भजन, पूजन-अर्चना करते हैं। मंदिरों व घरों की सजावट के होती है। ठाकुरजी का अभिषेक दूध-दही आदि, सभी चीजो से किया जाता है। 30-31 अगस्त को बांकेबिहारी मंदिर में मध्य रात्रि 2 बजे सिर्फ एक बार होने वाली मंगला आरती के दर्शन होंगे। 31 अगस्त को नंदोत्सव की मनोहारी छटा के दर्शन भक्त कर सकेंगे। जन्माष्टमी पर ठाकुरजी स्वर्ण-रजत पालना में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी लोक पर 125 साल, छह महीने और छह दिन तक रहे थे। उसके बाद स्वधाम चले गए।