
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 के महा चुनाव का बिगुल बज उठा है और राजनीति सियासी पारा सातवें आसमान पर दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि, बसपा प्रमुख मयावती ने अपने सियासी दांव खेलना शुरू कर दिया है। पूर्वी यूपी के तमाम इलाकों में ब्राह्मण सम्मेलन करने वाली मायावती ने इस बार साफ किया है कि वह 2007 की तरह सत्ता में मजबूत वापसी की कोशिश कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए पार्टियों के तमाम आयोजन चर्चा का विषय बन गए हैं। मंगलवार को बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलनों का आखिरी दांव पूरा हो चुका है। इस सम्मेलन के अंतिम अध्याय पर खुद मायावती का भाषण अंकित हुआ है, जो उन्होंने मंगलवार को लखनऊ में दिया। मायावती ने इस भाषण में ब्राह्मणों को अपने साथ आने के लिए आमंत्रित किया और ये भी कहा कि वो इस बार पार्क स्मारक बनाने की जगह गवर्नेंस पर काम करेंगी। लेकिन ब्राह्मण वोटों की राजनीति में मायावती नहीं हैं। बीजेपी से लेकर एसपी तक सब इसी धारा में बह रहे, इनका उद्देश्य परशुराम के वंशजों को जोड़कर सत्ता राजयोग देखना है।
यूपी में ब्राह्मण वोटरों की बड़ी संख्या को देखते हुए सबसे अधिक जोर आजमाइश फिलहाल बीएसपी कर रही है। वजह यह है कि, 13 पर्सेंट ब्राह्मण वोटर हैं, जो तमाम इलाकों में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। अतीत में ब्राह्मण वोटों का यही जुड़ाव बीएसपी को सत्ता का शिखर दिला चुका है। 2007 के चुनाव में बीएसपी को बहुमत दिलाने का पूरा श्रेय इसी ब्राह्मण वोट को जाता है, जिसे इस बार भी मायावती अपने पाले में करना चाहती हैं।