Wednesday, May 31News

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में पाई जाती है अधिक बीमारी: डॉ. सुमित वत्स

आज के समय में सेहत संबंधित समस्याओं की अगर बात करें तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं अधिक पाई जाती हैं। इस वजह से उनको कई बार गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

यदि समय रहते स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को गौर न किया जाए तो यह गंभीर स्थिति की ओर बढ़ती चली जाती हैं। इससे बेहतर है कि स्वास्थ्य समस्याओं का निदान यदि होम्योपैथिक औषधियों से हो तो यह जड़ मुक्त हो जाती हैं।

होम्योपैथिक औषधि भले ही देरी से असर करे लेकिन, इसके सौ फीसदी परिणाम अच्छे पाए गए हैं। होम्योपैथिक की सभी दवाएँ शारीरिक इम्यूनिटी पर बुरा प्रभाव नहीं डालती हैं और ना हीं कोई साइड इफेक्ट करती हैं। इसलिए होम्योपैथिक उपचार हमेशा से बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए मददगार रहा है।

न्यूज़पोर्ट से मुखातिब होते हुए डॉ. सुमित वत्स ने कोरोना महामारी का ज़िक्र करते हुए माहवारी के दौरान महिलाओं में होने वाली बीमारियों की जानकारी व सलाह देते हुए कुछ टिप्स बताए जो घरेलू व कामकाजी महिलाओं के लिए मददगार साबित हो सकती हैं।

मेनोरेजिया :

यह वह रोग है जिसके होने पर शारीरिक दुर्बलता बनी रहती है। जिसके चलते हाथ-पैरों में थकावट और पूरे बदन में हरारत बनी रहती है। इम्युनिटी कमजोर होने से संक्रमण सेहत को प्रभावित कर सकता है। माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होना महिलाओं में स्वभाविक है। इसकी वजह पेल्विक इंफ्लामेट्री डिसआर्डर (पीआईडी) भी हो सकता है। यदि शरीर में माहवारी के बाद तक थकावट बनी रहती है तो इस स्थिति में चिकित्सकीय सलाह लेवें और कुशल चिकित्सक को दिखाएं।

स्केंटी मेंस्ट्एशन :

क्रोनिक रोग जैसे टाइफायड, टीबी की वजह से खून की कमी एनिमिया से कुछ महिलाओं में माहवारी के दौरान सामान्य से कम व ज्यादा रक्तस्राव होता है। जो आगे चलकर विभिन्न रोगों को जन्म देता है। यह स्थिति स्केंटी मेंस्ट्एशन में बदल जाती है।

डिसमेनोरिया :

यह वह रोग है जिसमें आंशिक महिलाओं को माहवारी के दौरान विशेषकर पेट के निचले हिस्से में ज्यादा तकलीफदेह रहता है और दर्द बना रहता है। यह तनाव से ग्रस्त रहने या मानसिक व शारीरिक कमजोरी व खानपान में असंतुलित भोजन की वजह से भी हो सकता है। इस स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेंवे और अधिक दर्दनिवारक गोलियों का सेवन ना करें तो ज्यादा बेहतर होगा।

अनियमितता :

जिन्हें माहवारी के दौरान रक्तस्राव कम या ज्यादा और अनियमित हो तो वह तत्काल डाॅक्टर से मिले, अपने अनुसार कोई भी दवा का सेवन न करें। इस स्थिति में प्रजनन क्षमता प्रभावित होने के अधिक गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।

इंफेंटाइल ल्यूकेरिया :

यह वह रोग है जिसमें सफेद तरल का रिसाव होता है। विशेषकर यह छह से बारह वर्ष की लड़कियों में पेट में कीड़ो की वजह से वाइट डिस्चार्ज की समस्या होती है। जो शरीर में कमजोरी का कारण बनती है।

माहवारी को लेकर अधिक महिलाएं गंभीर होती हैं और आंशिक महिलाएंँ इन सब परिस्थितियों को अनदेखा करते हुए नज़र अंदाज कर देती हैं जो आगे चलकर गंभीर बीमारियों में बदल सकती हैं।

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