पटना. कोरोना संकट के कारण बिगड़े हालात को देखते हुए बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने 22 से लेकर 24 मार्च तक होने वाले कर्मियों का ऑनलाइन चुनाव प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थगित कर दिया है. बिहार के सभी जिलाधिकारियों (जिला निर्वाचन पदाधिकारी) को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी गई है. इस पत्र में कहा गया है कि 15 दिनों बाद स्थिति की समीक्षा के बाद बिहार पंचायत चुनाव के बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा. कोरोना के कारण लगातार बिगड़ रही स्थिति के बाद माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव टाले भी जा सकते हैं. ऐसे में राज्य सरकार अन्य विकल्प पर भी विचार कर सकती है.
मिली जानकारी के अनुसार, निर्वाचन आयोग (बिहार) द्वारा पंचायत आम निर्वाचन 2021 की अधिसूचना का प्रस्ताबव अप्रैल के अंत में भेजने की तैयारी कर रहा था. इन तैयारियों के बीच आयोग के कार्यालय के साथ-साथ कई अन्य विभागों एवं क्षेत्रीय कार्यालयों के पदाधिकारी और कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. ऐसे में वर्तमान परिस्थिति के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार द्वारा पंचायत आम निर्वाचन 2021 की अधिसूचना पर 15 दिनों के बाद परिस्थितियों की समीक्षा कर निर्णय लेने की बात कही है.
अन्य विकल्प तलाश रही बिहार सरकार
बता दें कि पंचायतों की वर्तमान कमेटियां 15 जून तक ही प्रभावी रह सकेंगी. बिहार सरकार पंचायती राज अधिनियम, 2006 (Bihar Government Panchayati Raj Act 2006) के नियमानुसार 15 जून से पहले चुनाव होने जरूरी हैं. हालांकि, राज्य सरकार का यही कहना है कि वह तय समय पर पंचायत चुनाव करवाना तो चाहती है, लेकिन कोरोना को लेकर अन्य विकल्प पर भी विचार कर सकती है.
यह फैसला ले सकती है नीतीश सरकार
दरअसल, पंचायत चुनाव प्रक्रिया तय समय पर नहीं होने की सूरत में पंचायती राज सरकार में कई तरह के वैधानिक पेच फंस सकते हैं. चुनाव अगर समय पर नहीं हुए तो पंचायतें अवक्रमित यानी Degraded होंगी. फिर पंचायती राज व्यवस्था के अधीन होने वाले सभी कार्य बिहार सरकार के अधिकारियों को देखने होंगे. पंचायत चुनाव के अंतिम परिणाम तक राज्य सरकार के अफसर ही योजनाओं का क्रियान्वयन करवाएंगे.
तो अधिनियम में संशोधन आवश्यक होगा!
जानकारों की मानें तो 15 जून से पहले नया निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में नीतीश सरकार पंचायती राज अधिनियम 2006 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन कर सकती है. दरअसल, पंचायती राज अधिनियम में इसका प्रावधान नहीं किया गया है कि चुनाव समय पर नहीं होंगे तो त्रि-स्तरीय व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य कैसे और किनसे करवाए जाएंगे. ऐसे में अधिनियम में संशोधन किया जाना आवश्यक होगा.
जिला और प्रखंड स्तर के अधिकारी फैसला लेंगे!
जानकारों की मानें तो अगर सरकार ऐसी घोषणा करती है तो गांवों में चल रहे विकास कार्यों को जारी रखने और शुरू करने को लेकर जिला और प्रखंड स्तर के अधिकारी फैसले ले पाएंगे. साथ ही किसी पंचायत के लिए बड़ा फैसला लेने के लिए अधिकारियों को जिला मुख्यालय और राज्य सरकार से आदेश लेना पड़ सकता है.
दिशा-निर्देश जारी कर सकती है नीतीश सरकार
मिली जानकारी के अनुसार, पंचायत राज अधिनियम में संशोधन करने के बाद इससे संबंधित दिशा-निर्देश जिलों को जारी किए जाएंगे फिर पंचायती राज का कार्य जिलाधिकारियों के माध्यम से अधीनस्थ पदाधिकारियों को दिए जाएंगे. वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले कार्य प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा कराए जाएंगे.
विधानमंडल से पास करवाया जाएगा संशोधन विधेयक
जिला परिषद के जरिए होने वाले कार्य को उपविकास आयुक्त कराएंगे. उन्हीं के पास सारे अधिकार होंगे. जानकार यह भी बताते हैं कि चूंकि अभी विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. बाद में विधानमंडल सत्र से भी इसे पारित कराया जाएगा.