सोनभद्र। सोनभद्र का डाला पहाड़ी इलाका एक दशक से सुर्खियों में रहा है, जहां पूर्व में खनिज सम्पदा का उत्खनन करने वाले 14 मजदूरों की मौत हो चुकी है। धमाके के दौरान मानक से अधिक गहराई में मजदूरों को भेजकर खनन कराया जाता रहा है, जिसका सिलसिला एक दशक से चलता आ रहा है। श्रमिकों के प्राणपखेरू उड़ने का तो दौर अब तक कायम है। मजदूरों की मौत ब्लास्टिंग और अन्य कारणों से हुई आगजनी से भी होती रही है।
डाला पहाड़ी पर खनन चरम पर है, समूची पहाड़ी खननकर्ताओं को लीज (खनन अनुबंध) पर अलॉट हैं। यहां गाहे-बगाहे पहाड़ियां धू-धू कर दाहकत्व उगलती रहती हैं, लेकिन खननकर्मी, वन कर्मी व इनके नुमाइंदे आला अफसरों तक किसी को कोई परवाह नहीं। डाला पहाड़ी पर आज भी हुए हादसे में अग्नि प्रज्वलित हो उठी। ट्रक ड्राइवर को बमुश्किल लपटों से दूर लाया गया लेकिन बिजली के खम्बे भी आग की चपेट में आ गए जिससे भारी नुकसान का अंदाजा लगाया जा रहा जबकि प्रशासन अभी तक नुकसान का कोई आंकड़ा नहीं दे पाया है।
फायर ब्रिगेड के भी देर से पहुंचने पर किसी तरह आग पर काबू पाया जा सका। इसमें वन विभाग की भी नाफरमानी की बात यहां के बाशिंदे कह कर रहे हैं तो खनिज विभाग को भी लोग पाक-साफ नहीं बता रहे। कई वर्षों से श्रमिकों के चोटिल होने से लेकर मौत होने तक का सिलसिला लगातार जारी है।
जहां एक हफ्ते में सोनभद्र के म्योरपुर जंगल में दो बार आग लग चुकी तो इस जिले में सैकड़ों एकड़ गेहूं व सरसों की फसल भी आग की चपेट में आने से पूरी तरह भस्मीभूत हो गई और किसानों की गुहार सुनने में भी हुक्मरानों को देर हो गई। सोनभद्र में हालात कुछ ऐसे बने कि आग उगलती धूप में पहाड़ियों के जलने के साथ ही जंगल और फसलों का जखीरा भी जल उठा।