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सालों से घर में बंद था राजबहादुर जाटव, चुनाव जीतकर निकला बाहर

आगरा. पंचायत चुनावों (Panchayat Chunav) के नतीजे घोषित होने के बाद कई तरह के नज़ारे सामने आ रहे हैं. कहीं बहु ने सास को हरादिया. कहीं जेठानी अपनी देवरानी से हार रही है.

कई जगह तो पति-पत्नी ही चुनाव (Election) मैदान में आमने-सामने थे. ऐसा ही एक अजीब ओ गरीब किस्सा आगरा (Agra) में सामने आया है. जहां 15 साल से घर में बंद पिता को बेटे ने प्रधानी का चुनाव जीतने के बाद गांव में घुमाया.

आगरा के खंदौली ब्लॉक में ग्राम पंचायत रामनगर है. गांव में राजबहादुर की अच्छी साख है. साल 2005 में इसी गांव से राजबहादुर ने प्रधानी का चुनाव लड़ा था. वह पहला मौका था जब राजबहादुर के परिवार से कोई राजनीति में उतरा था. चुनाव में राजबहादुर हार गया था.

चुनाव हारने के बाद राजबहादुर को लोगों के ताने का इतना डर लगा कि उसने खुद को घर में कैद कर लिया. उसने घर से बाहर निकलना बिलकुल बंद कर दिया था.

राजबहादुर के इकलौते बेटे भूपेंद्र सागर उर्फ सोनू जाटव के मुताबिक परिवार, रिश्तेदार और गांव वालों ने बहुत समझाया कि राजनीति और चुनावों में तो ऐसा होता रहता है. लेकिन पिता नहीं माने और घर पर ही रहने लगे..

बेटे ने पिता को तोहफा देने के लिए 2010 में लड़ा चुनाव

चुनावी हार के सदमे पिता को उबारने के लिए बेटे सोनू जाटव ने 2010 में प्रधानी का चुनाव लड़ा. सोचा कि जीतने के बाद पिता को तोहफा देगा और पिता को घर से बाहर ले आएगा. लेकिन सोनू की यह की यह इच्छापूरी नहीं हुई और वह चुनाव हार गया. बावजूद इसके उसने हिम्मत नहीं हारी. अंदर ही अंदर वो आने वाले चुनावों के लिए फिर से तैयारी करने लगा.

2021 में सोनू ने रिकॉर्ड वोटों से जीता चुनाव

इस बार इस अनुसूचित सीट से फिर सोनू ने पर्चा भर दिया. चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी, सोनू 12 65 वोट से जीत गया. सोनू को जीत का प्रमाण पत्र मिल गया. घर पहुंचकर सोनू ने प्रमाण पिता के कदमों में रख दिया. उसके बाद पिता को घर से बाहर लेकर आया. पूरे गांव में पिता को दूसरे लोगों से मिलवाया. पिता को फूलों की माला पहनाई गई. दोनों पिता-पुत्र ने गांववालों का धन्यवाद किया.

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