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महाकाल के अंश हैं राम भक्त हनुमान

चैत्र मास के पूर्णिमा तिथि को जन्में रामभक्त हनुमान को कई नामों से जाना जाता है। जैसे बालाजी, बजरंगबली, अंजना नन्दन, वायु पुत्र, मारुति, पवनपुत्र, केशरी सुत व संकटमोचन आदि। भगवान हनुमान जी के दो प्रमुख स्थान हैं। एक राजस्थान के मेंहदीपुर गाँव दौसा जिला में स्थित है और दूसरा राजस्थान के चूरु जिला गाँव सालासर में बना है। हनुमान भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं हनुमान और उनके जन्म का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। इस लेख में हम हनुमान जी के जन्म से जुड़ी ऐसी ही एक प्रचलित कथा का ज़िक्र कर रहे हैं।

संयोगवश हुआ हनुमान जन्म

हनुमान जी के जन्म की कथा बहुत रोचक है। वे माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र थे। माना जाता है कि उनका जन्म कोई साधारण संयोग नहीं था, बल्कि देवतागण, नक्षत्र और सारे भगवान के आशीर्वाद से पृथ्वी से पाप का विनाश करने के लिए हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, माता अंजनी को यह वरदान मिला हुआ था कि उनका होने वाला पुत्र शिव का अंश होगा। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि जब बजरंगबली का जन्म हुआ था, उसी समय रावण के घर भी एक पुत्र ने जन्म लिया था। यह संयोग दुनिया में अच्छाई और बुराई का संतुलन बनाए रखने के लिए हुआ था।

हनुमान जन्म के लिए माता अंजना ने की तपस्या

बात त्रेतायुग की है, जब माता अंजनी सुमेरू पर्वत के एक जंगल में बैठकर पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा कर रही थीं। वह हाथ जोड़कर और आंखें बंद करके आराधना में लीन थी, तभी उनकी सामने रखी कटोरी में एक फल आकर गिरा। माता अंजनी ने जब उस फल को देखा, तो उन्होंने उसे प्रसाद समझ कर सेवन कर लिया।

पहले जन्में राम फिर जन्में हनुमान

दरअसल, जब माता अंजनी जंगल में पूजा कर रही थी, तब वहां से दूर अयोध्या में राजा दशरथ भी पुत्र प्राप्ति के लिए शिव-यज्ञ करवा रहे थे। इस हवन के बाद पंडित ने राजा दशरथ की तीनों रानियों को फल दिए, जिन्हें खाने से उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई थी। इन्हीं फलों में से एक छोटा-सा अंश एक पक्षी उठाकर ले गया, जिसे उसने बाद में माता अंजनी के सामने रख दिया। उस मीठे फल को माता अंजना ने खाया जिसके फलस्वरूप उनको पुत्र हनुमान की प्राप्ति हुई। इस प्रकार भगवान शिव के आशीर्वाद से हुआ था केसरीनंदन हनुमान का जन्म।

राम जन्म के सातवें दिन जन्में हनुमान

आपको बता दें कि, हनुमान जी के स्वामी भगवान श्री राम पहले जन्में हैं उसके पश्चात जन्में हैं भक्त हनुमान। भगवान श्री राम का जन्म भी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की रामनवमी को हुआ था। सप्ताहभर यानी ठीक सातवें दिन माँ अंजना के गर्भ से पिता केशरी के भवन में जन्म लिया था हनुमान जी ने जो असुर मायावी दानवों के संघार हेतु महाकाल (शिव) के ग्यारहवें अंश के स्वरुप माने गए हैं।

अष्ट सिद्धी – नव निधि के स्वामी हैं हनुमान

हिंदू पवित्र धर्म ग्रंथ श्री रामचरितमानस के सुंदरकांड में उल्लेख है कि, हनुमान जी को माता जानकी (सीता) द्वारा मिले वरदान में भक्त हनुमान को अष्ट सिद्धी नव निधि प्रदान की गई हैं। इसलिए हनुमान सदैव अजर अमर अविनाशी हैं। यह सभी शक्तियों के स्वामी हैं। कलियुग में भक्त हनुमान जी की महिमा का विस्तार सात समुद्र से अधिक फैला हुआ है। इनकी महिमा का संपूर्ण ब्रह्मांड भी साक्षी है।

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