
नई दिल्ली। राजधानी काबुल पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है अफगानिस्तान की सत्ता पर अब तालिबान का नियंत्रण हो गया है। 15 अगस्त की सुबह जब भारत में लोग आजादी का जश्न मना रहे थे तब तालिबान के लड़ाके अफगान राजधानी काबुल पर घेरा डाल रहे थे। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके प्रशासन के बड़े नेता और अधिकारी देश छोड़कर जा चुके हैं माना जा रहा है कि जल्द ही संगठन ‘इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ की घोषणा कर सकता है.
रविवार की सुबह तालिबान के लोगों ने अचानक काबुल पर घेरा डाला और अफगान सरकार और सेना बिना मुकाबला किए सरेंडर करती दिखी. इस बीच, अमेरिकी डिप्लोमैट्स को आननफानन में काबुल से ले जाते हेलिकॉप्टर की तस्वीर सबने देखी दरअसल 1996 से 2001 के बीच देश में तालिबान का शासन था। 1998 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर देश पर शासन शुरू किया तो कई फरमान जारी किए पूरे देश में शरिया कानून लागू कर दिया गया और न मानने वालों को सरेआम सजा देना शुरू किया.

विरोधी लोगों को चौराहों पर लटकाया जाने लगा. हत्या और यौन अपराधों से जुड़े मामलों में आरोपियों की सड़क पर हत्या की जाने लगी. चोरी करने के आरोप में पकड़े गए लोगों के शरीर के अंग काटना, लोगों को कोड़े मारने जैसे नजारे सड़कों पर आम हो गए मर्दों को लंबी दाढ़ी रखना और महिलाओं को बुर्का पहनने और पूरा शरीर ढंक कर निकलना अनिवार्य कर दिया गया. घरों की खिड़कियों के शीशे काले रंग से रंगवा दिए गए. टीवी, संगीत और सिनेमा बैन कर दिए गए. 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई. 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई. तालिबान के इस शासन को मान्यता देने वाले तीन देश थे- पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूएई। पूरे देश पर अब फिर तालिबान का कब्जा है और लोग खौफ से फिर घर-बार छोड़कर पड़ोसी मुल्कों में भागने को मजबूर हैं. एयरपोर्ट पर देशछोड़ कर जाने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा है.
अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा एक लड़ाई कि हार से ज्यादा आतंकी निचारधारा कि जीत है।