
लखनऊ. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम से लगे दाग को बीजेपी किसी भी हालत में छुड़ाना चाह रही है. यही कारण है कि यूपी सरकार और संगठन जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के लिए होने वाले चुनावों में अच्छे नंबरों से पास होना चाहती है.
कमान निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों के हाथ में है. इसके लिए बकायदा मुख्यमंत्री आवास पर शनिवार की रात रणनीति तय की गई कि आखिरकार इस दाग से छुटकारा कैसे पाया जाए.
जिताऊ कैंडिडेट पर फोकस करने की राय बनी
बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल मौजूद रहे.
फोकस रहा कि किस तरह आपसी मतभेद और गुटबाजी से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को बचाया जाए. इसके लिए स्थानीय विधायकों, सांसदों, प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की गई. इसके लिए टारगेट रखा गया कि पचहत्तर फीसदी सीटें जीतनी हैं.
बैठक में जिताऊ कैंडिडेट पर फोकस करने की राय बनी, भले ही वह बीजेपी का न होकर निर्दलीय हो. इसके लिए स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी दी गई कि बीजेपी में निर्दलीय लोगों को अधिक से अधिक समाहित किया जाए.
जरूरत पड़े तो तीन नामों की सूची प्रदेश स्तर पर विचार के लिए भेजें इस बैठक में तय किया गया कि जिला अध्यक्ष, विधायक और सांसद मिलकर आपसी सहमति से प्रत्याशी तय करें ताकि प्रदेश स्तर पर उसपर कोई सवाल न उठ सके.
जहां पर किसी तरह का कोई व्यवधान नजर आए वहां तीन नामों की सूची प्रदेश स्तर पर विचार के लिए भेजी जाए. गौरतलब है कि बीजेपी को अधिकांश जिलों में बहुमत नहीं है.
ऐसे में उन जिलों में तीन-चार प्रबल दावेदार सामने आ रहे हैं. ऐसे में पार्टी के सामने प्रत्याशी तय करना सबसे बड़ी चुनौती है.