
नई दिल्ली। इस बार तीन विधानसभा क्षेत्रों और लोकसभा की एक सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं। मध्य प्रदेश की सियासत एक बार फिर उपचुनाव की कसौटी पर उतरने वाली है. चुनाव घोषणा से पहले ही राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गये हैं। हालांकि इस उपचुनावों के परिणाम से ना तो भाजपा की केंन्द्र सरकार पर कोई असर पडने वाला है. और ना ही राज्य सरकार पर लेकिन ये महत्वपूर्ण। दरअसल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए माहोल बनाने की ध्वनि इन उपचुनाव से निकलेगी । इस बात को स्वीकार करते हुए खुद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार पर असर ना डालने वाले उपचुनाव ज्यादा तनाव वाले होते हैं। इस लिए कार्यकर्ता इन उपचुनाव को गम्भीरता से लेते हुए अपनी जीत को सुनिश्रिच्त करने में जुट जाए। कांग्रेस भी इन उपचुनाव को अपने लिए एक अवसर के रुप में देख रही है। उसे उम्मीद है के कोराना काल के दौरान पैदा हुई विषम स्थितियों के कारण शायद उसके हिस्से का कोई करिश्मा हो जाए। कांग्रेस को भी इन उपचुनाव से कोई बड़ा फायदा होने वाला नही है लेकिन वह जानती है कि अगर इन उपचुनावों में जीत मिलती है। तो इससे भविष्य के राजनीतिक के लिए माहोल बनाने में उसे मदद मिल सकती है।