नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर साफ किया कि वे अलग-अलग राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत, दवाईयां, वैक्सीन और अन्य सप्लाई पर हाईकोर्ट की सुनवाई को रोक नहीं रहे हैं.
उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है कि याचिकाओं पर सुनवाई कर रही उच्च अदालतों की सुनवाई को रोका जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट के पूरक का काम करेंगे. हाईकोर्ट कोरोना के मामलों की सुनवाई करते रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों पर सुनवाई करेगा. राष्ट्रीय आपदा के वक्त सुप्रीम केवल मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता.’
तीन जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एनएल राव और जस्टिस रवींद्र एस भट्ट की बेंच ने कहा, ‘आपदा काल में हाईकोर्ट की भूमिका अहम है. हम उच्च अदालतों को सुनवाई से नहीं रोक रहे हैं.
हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुद्दों से निपटने में उच्च न्यायालयों को कोई कठिनाई होती है, हम मदद करेंगे.’
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने चार मुख्य मुद्दों पर जवाब मांगा है.
- ऑक्सीजन की आपूर्ति, राज्यों की अनुमानित आवश्यकता, केंद्रीय पूल से ऑक्सीजन के आवंटन का आधार, एक गतिशील आधार पर राज्यों की आवश्यकता के लिए संचार की अपनाई गई कार्यप्रणाली, कोविड बेड समेत महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकताओं में इजाफा.
- रेमडेसिविर, फेविपिराविर सहित आवश्यक दवाओं की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम.
- टीकाकरण- वर्तमान में दो टीके उपलब्ध हैं- COVISHIELD और COVAXIN. केंद्र कवरेज की वृद्धि के परिणामस्वरूप वैक्सीन की अनुमानित आवश्यकता को स्पष्ट करेगा.
- वैक्सीन के मूल्य निर्धारण के संबंध में अपनाए गए आधार और औचित्य को भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई और अस्पतालों में आपूर्ति के लिए सेना, अर्धसैनिक बलों को लगाया जा सकता है.
दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है. इससे निपटने के लिए टीकाकरण जरूरी है. लेकिन इसकी कीमत को लेकर भी मतभेद हैं.
केंद्र का इस पर नेशनल प्लान क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें केंद्र सरकार के जवाब को देखना है. सुप्रीम कोर्ट दो दिन के बाद फिर सुनवाई करेगा और राज्यों के पक्ष को भी सुना जाएगा.