
नई दिल्ली। धार्मिक नगरी काशी, यहां देश-विदेश से लाखों भक्त काशी विश्वनाथ और मां गंगा के दर्शन के लिए आते हैं। तीनों लोकों में न्यारी काशी जितनी अपनी अल्हड़ पन के लिए मशहूर है उतनी ही गली-गली में स्थित मंदिरों के लिए भी। यही वजह है कि गलियों के शहर काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। यहां बाबा काशी विश्वनाथ का दरबार है, तो संकट मोचन बजरंगबली का घरबार भी है। अपने आपमें कई इतिहास समेटे बनारस में आपको कई मंदिर मिल जाएंगे, लेकिन यहां पर सबसे अनोखा एक और मंदिर है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं वह भारत माता का मंदिर।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में स्थित देश के पहले भारत माता मंदिर का निर्माण 1918 से 1924 के बीच कराया गया था। यह वही दौर था जब अंग्रेजों की हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी सहित कई क्रांतिकारियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इस ऐतिहासिक भारत माता मंदिर का निर्माण बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने कराया था। इस मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने 1936 में किया था। इस मंदिर की खासियत यह है कि मंदिर होने के बावजूद भी इसमें किसी देवी देवता की मूर्ति नहीं बल्कि भारत का अविभाजित नक्शा दिखाया गया है।
आजादी की लड़ाई के दौर में अपने प्राणों को न्यौछावर कर देने वाले प्रेरणा स्रोत यह मंदिर आज भी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे जाति भेदभाव की भावना से कोसों दूर है। भारत माता मंदिर देश की अनमोल विरासत है। इस मंदिर को देखने के लिए प्रतिदिन देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं। मंदिर के निर्माण में इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना देखने को मिलता है। किस जगह की समुद्र तल से कितनी ऊंचाई है यह भी नक्शे को देख कर बताया जा सकता है। भारत माता मंदिर अब देश के स्वाभिमान व अखंडता का भी प्रतीक बन चुका है।