साल 2001 से अभी तक अमेरिका ने अफगानिस्तान में 2.26 लाख करोड़ डॉलर खर्च कर चुका है। अब बीस साल तक जंग पुनर्निर्माण कार्यों में लगे रहने के बाद, वहां से अमेरिकी सैनिकों, राजनितियो, प्रतिनिधियों को वापस जाना पड़ा है।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के अनुसार अफगानिस्तान के वार प्रोजेक्ट पर अमेरिका को करीब 2.26 लाख करोड़ लिए सबसे लंबे ‘वॉर’ का अंत अराजतकताभरा और अपमानजनक रहा है।
लोकतंत्र कायम करने के लिए अमेरिका ने कई साल भारी रकम खर्च की। अराजकता एयरपोर्ट पर मची भगदड़ को देखकर अमेरिका की मेहनत खराब हो गई। अफगानिस्तान के बैंक गवर्नर भी वहां से फरार हो चुके हैं, ऐसे में वहां की मुद्रा में भारी गिरावट आई है. मंगलवार को अफगानी मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 1.7% तक गिरकर 83.5 पर पहुंच गया। जब लोग सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे अस्थरिता बनी रहेगी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार सीमापार होगी तो अफगानिस्तान में औपचारिक अर्थव्यवस्था का बढना नामुमकिन है।

साल 2001 में अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था दो दशकों की जंग मे बर्बाद हो गई थी, अमेरिका के नेतृत्व में वहां संयुक्त सेनाओं ने धावा उसी साल अक्टूबर मे बोला। सेनाओं ने तालिबान को सत्ता से बेदखल करा और करीब 2.26 ट्रिलियन डॉलर रकम खर्च कर चुके है। अमेरिका के रक्षा विभाग के ओवरसीज कॉन्टियजेंसी ऑपरेशन बजट के लिए 1 लाख करोड़ डॉलर खर्च हुए। वहां गरीबी कम नहीं हुई लेकिन पिछले 20 साल में अफगानिस्तान की इकोनॉमी पटरी पर आई। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश की 90 फीसदी जनसंख्या एक दिन में 2 डॉलर से भी कम में गुजारा करती है।
अफगानिस्तान के पुनर्निीर्माण के लिए अमेरिका ने 144 अरब डॉलर खर्च किए। अफगानिस्तान की सेना के प्रशक्षिण और सक्षम बनाने पर खर्च किए गए 88.3 अरब डॉलर पर जिस तरह 3 लाख संख्या वाली सेना ने तालिबानियों के सामने घुटने टेके हैं, वह हैरान करने वाला है.