दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: मुफ्त रेवड़ियों पर सत्य की जीत
आज के दौर में, सच की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। तथ्य और सच्ची अभिव्यक्तियाँ अडिग सत्य का समर्थन करती हैं, लेकिन चुनावी नैरेटिव अक्सर मीडिया और प्रचार रणनीतियों के प्रभाव में भटक जाते हैं। चुनावी घोषणापत्र, जो सुशासन का वादा करता है, अमल में अक्सर विफल रहता है, जिससे मतदाताओं के बीच अविश्वास बढ़ता है। सोशल मीडिया ने राजनीति को और जटिल बना दिया है, जहाँ गलत जानकारी और गढ़े गए नैरेटिव जनमत को प्रभावित करते हैं। लेकिन इसके बावजूद, अंतिम निर्णय हमेशा जागरूक और समझदार मतदाताओं के हाथ में रहता है।
एस.एच.डी. रिसर्च फाउंडेशन ने शासन और चुनावी वादों पर मतदाताओं की प्रतिक्रिया को समझने के लिए एक अध्ययन किया । यह अध्ययन अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को शामिल करके किया गया, जैसे मध्यमवर्गीय कॉलोनियाँ, झुग्गी बस्तियाँ, स्कूल-कॉलेज और बाजार इलाके। सर्वे में 61 विधानसभा क्षेत्रों से 926 लोगों ने हिस्सा लिया, जिससे सभी वर्गों की राय को समझने में मदद मिली।
मतदाता रुझान
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अध्ययन में कड़ी चुनावी टक्कर दिखी, जहाँ 51% लोगों ने भाजपा को वोट देने की बात कही, जबकि 45% ने आम आदमी पार्टी (आप) को पसंद किया।
नतीजों से पता चलता है कि जहां निचले तबके में आम आदमी पार्टी का प्रभाव है, वहीं भारतिया जनता पार्टी ने लोगों का भरोसा जीता है। वोटिंग पैटर्न में यह बदलाव सरकार के काम, नीतियों और अधूरे वादों से हुई नाराजगी के कारण आया है।
आप सरकार के दस साल
अध्ययन में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के कामकाज पर जनता की राय को पाँच श्रेणियों में बाँटा गया। 30% लोग तटस्थ रहे, जिससे पता चलता है कि एक बड़ा वर्ग अभी फैसला नहीं कर पाया है। 37% लोग (11% बहुत संतुष्ट और 26% संतुष्ट) सरकार के काम से खुश हैं, जबकि 33% (20% असंतुष्ट और 13% बेहद असंतुष्ट) नाखुश हैं। संतुष्ट और असंतुष्ट लोगों के बीच मामूली अंतर से साफ है कि जनता की राय बँटी हुई है। हालाँकि आम आदमी पार्टी को अच्छा समर्थन मिला है, लेकिन तटस्थ और असंतुष्ट मतदाताओं की बड़ी संख्या दिखाती है कि सरकार को अनिर्णीत वोटरों को जोड़ने और जनता की चिंताओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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संतुष्ट और असंतुष्ट मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है, जबकि कई लोग अभी भी फैसला नहीं कर पाए हैं। यह आम आदमी पार्टी (आप) के लिए एक तरफ चुनौती है तो दूसरी तरफ मौका भी, जहाँ उसे तटस्थ मतदाताओं को जोड़ना होगा और असंतुष्ट लोगों की चिंताओं को दूर करना होगा।
वोट परिवर्तन: आप से भाजपा की ओर
वर्ष 2020 में आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट देने वाले अधिकांश मतदाता वर्ष 2025 में भी अपने फैसले पर कायम हैं। अध्ययन के अनुसार, 65% आप समर्थकों ने 2025 के विधानसभा चुनाव में फिर से आप को वोट देने की बात कही, जबकि 23% ने कहा कि वे अब आप को वोट नहीं देंगे। इसका मतलब है कि आप के 23% मतदाता अब आप को समर्थन नहीं देंगे।
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दूसरी ओर, वर्ष 2020 में भाजपा को वोट देने वाले 10% मतदाताओं ने कहा कि वे अब भाजपा को वोट नहीं देंगे। यह दर्शाता है कि कुल मिलाकर 13% मतदाता आप से भाजपा की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।
इस अध्ययन में वोटरों की निष्ठा और दल परिवर्तन को समझने पर जोर दिया गया। नतीजे दिखाते हैं कि ज्यादातर मतदाता अपनी पिछली पसंद पर कायम हैं, लेकिन एक बड़ा बदलाव आप से भाजपा की ओर हुआ है। यह बदलाव बताता है कि आप के लिए अपने मतदाताओं को बनाए रखना कठिन होता जा रहा है। हालांकि उसे अब भी समर्थन मिल रहा है, लेकिन कई लोग असंतुष्ट या अनिर्णीत हैं, जिससे भाजपा के लिए नए मौके बन रहे हैं। जमीनी सर्वे में पाया गया कि असंतुष्ट आप समर्थकों ने खुलकर नाराजगी जाहिर नहीं की, जबकि भाजपा समर्थक अपनी पसंद को लेकर ज्यादा मुखर थे। यह दिखाता है कि पारदर्शी शासन, मजबूत नीतियाँ और जनता की समस्याओं का हल जरूरी है। अंत में, अध्ययन से साफ होता है कि जनता अब मुफ्त योजनाओं और झूठे वादों से आगे बढ़कर सच्चाई को अहमियत दे रही है और देश के विकास के लिए बदलाव चाहती है।
यह सर्वे डॉ. संजीव कुमार,निदेशक, (SHDRF) एवं सहायक प्रोफेसर, एसपीएम कॉलेज, डीयू, डॉ. मनीष कुमार सिंह
निदेशक, बिग डाटा एनालिटिक्स विभाग (CDBA) (SHDRF) एवं सहायक प्रोफेसर, एस पी एम कॉलेज, डीयू एवं डॉ. दीपक कुमार
फेलो, (CDBA), एवं सहायक प्रोफेसर, एनसीडब्ल्यूईबी, डीयू द्वारा किया गया