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रामोत्सव में अखिल भारतीय मुशायरा अदब – ए – राम

         तेरे जैसा कोई हू ब हू चाहिए  ......

अयोध्या धाम : उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में रामोत्सव के अंतर्गत तुलसी उद्यान मंच पर फ़रहत अहसास की अध्यक्षता में अखिल भारतीय मुशायरा अदब – ऐ – राम आयोजित किया गया जिसमें देश के नामचीन शायरों ने काव्य पाठ किया। मुशायरे का आरंभ शकील आज़मी, दीक्षित दनकौरी, फ़हमी बदायूंनी, मदन मोहन दानिश, अंजुम रहबर और अन्य मंचस्थ शायरों ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। अज़हर इकबाल के संचालन में मुशायरे का आग़ाज़ युवा शायर चिराग़ शर्मा ने बहुत शानदार ग़ज़ल से किया – ‘तुम्हें ये ग़म है कि चिट्ठियां नहीं आतीं, हमारी सोचो हमें हिचकियां नहीं आतीं’। श्वेता श्रीवास्तव अजल ने जब – ‘कथ्य तो इतना है, सत्य तो इतना है, सब यहां हैं रामजी के, रामजी सभी के हैं ‘ पढ़ा तो पंडाल जय श्रीराम के उदघोष से गूंज उठा।
दीक्षित दनकौरी ने अपने पुरकशिश तरन्नुम में ‘ऐ ग़ज़ल पास आ गुनगुना लूं तुझे, तू संवारे मुझे, मैं संवारूं तुझे’ पढ़कर ग़ज़ल को पुकारा तो सारा माहौल ग़ज़लमय हो गया, उन्होंने अपनी ग़ज़ल –
चांद तारे न ये रंगो – बू चाहिए,
कुछ खिलौने नहीं, मुझको तू चाहिए।
पत्थरों को तराशा किया उम्रभर,
तेरे जैसा कोई हू ब हू चाहिए।


पढ़कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। शारिक कैफ़ी ने पढ़ा- ‘उसकी टीस नहीं जाती है सारी उम्र, पहला धोखा पहला धोखा होता है।’ अज़हर इकबाल ने राम की शख्सियत को कुछ यूं बयान किया – ‘दया अगर मैं लिखने बैठूं, अनुवादित होते हैं राम। रावण को भी नमन किया था, ऐसे थे मर्यादित राम। शकील आज़मी ने ‘मैं हूं इंसान तो होने का पता दे जंगल, राम जैसे थे मुझे वैसा बना दे जंगल ‘ पढ़कर वाह वाही लूटी। मासूम गाजियाबादी ने पढ़ा – ‘पहले ही तेरे नाम का सदका निकाल कर, रक्खा है तब चराग़ हवाओं में बाल कर।’ मदन मोहन दानिश ने अपने भाव कुछ यूं व्यक्त किए – ‘ ठहराव में और रवानी में राम हैं, गोया हमारी प्यास में और पानी में राम हैं।’ प्रख्यात शायरा अंजुम रहबर ने अपने दिलकश तरन्नुम में श्रीराम के व्यक्तित्व का वर्णन किया – ‘वो सरयू के धाम वाले हैं, वो छबीले से श्याम वाले हैं। सबके दिल में जो बसते हैं, सब उन्हें सियाराम कहते हैं।’ फ़हमी बदायूंनी ने अपने चुटीले अंदाज़ में शे’र सुनाकर खूब तालियां बजवायीं – ‘जिनसे आगे निकल नहीं सकता, उनके पीछे मैं चल नहीं सकता।’


अध्यक्षता कर रहे फ़रहत अहसास ने अपनी ग़ज़ल में श्रीराम पर शे’र पढ़े – ‘ तुलसी के जो राम हैं, हमारे भी राम हैं। उनकी तरह हमारे, सहारे भी राम हैं। अयोध्या तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, नगर आयुक्त और अंतरराष्ट्रीय रामायण एवम वैदिक शोध संस्थान के निदेशक संतोष कुमार सिंह ने सभी शायरों को शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया। इस अवसर पर सलाहकार कबीर अकादमी संस्कृति विभाग आशुतोष द्विवेदी, समाज सेवी डा रानी अवस्थी, कवि आलोक श्रीवास्तव, रामायण धर द्विवेदी सहित सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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