” ” धर्मान्धता के नाम पर
फैली है सम्प्रदायिकी
इंसानियत के बदले में
बन आई है हैवानों की
स्वार्थ की लड़ाई को धर्म की क्रान्ति बतलाया ।
हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया।।
धर्मों के नाम पर है
अब आडम्बर छाया
ईश्वर की अस्मिता को
सबने मिलकर बेच खाया
मन्दिर और मस्ज़िद को आसमान से उतरवाया ।
हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया ।।
माता-पिता रखते हैं
अब बच्चों का नाम
राम-रहीम के बदले
में हिन्दू – मुसलमान
हर दिल में बसे प्यार को नफ़रत में बदलवाया ।
हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया ।।
निर्भया,श्रद्धा और साक्षी
जैसी बेटियों की आब़रू
होती है हर आये दिन
हमारे देश में बेआब़रू
कभी टुकड़े कर मारा तो कभी ज़िन्दा जलवाया ।
हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया ।।
सस्ता है अब ज़िस्म यहाँ
और महंगी है ज़िन्दगानी
बेदाम का है रक्त यहाँ
और दाम का है पानी
अमन,अहिंसा और आपसी भाईचारे को
भुलाया ।
हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया ।।
आजकल जिधर देखो हर कोई
बन गया है कुर्सी का अभ्यार्थी
अपने खुद के ही देश भारत में
हम अब बन गये हैं शरणार्थी
जेहादियो और घुसपैठियों को सिर पे बैठाया ।
हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया।।
बिक जाता है हर झूठ यहाँ पर
दब जाती है सच्ची वाणी
मरने के बाद यहाँ पर
पूजा जाता है ज्ञानी
क्रान्तिकारियों के सपनों को धूल में मिलाया । हमारे अखण्ड भारत में ये कैसा वक्त है आया।।