आज हम एक ऐसे व्यक्ति की प्रेणादायक कहानी की चर्चा करेंगे, जिसने स्पेस में अपने तय सीमा से अधिक समय बिताया था, वो चाहता तो स्पेस को छोड़ पृथ्वी में आ सकता था, मगर उसने अपनी जिम्मेदारी और स्पेस के महत्व को समझा, उसने अपनी जान दांव में लगाकर अपने देश के गौरव को बनाये रखने के लिए अपनी जान को इस कदर दांव में लगाया कि उसका शरीर कमजोर होता जा रहा था. उसको स्पेस से नीचे देखने पर उसका देश और पूरी पृथ्वी पहले जैसी ही दिख रही थी. मगर उसको पता नहीं था कि उसका देश का नाम नक़्शे से पूरी तरह हट चूका है. उसे इस बारे में, उस समय पता चला, जब उसे अपनी तय सीमा से ज्यादा अंतरिक्ष में रहना पड़ा, और उसे अपने देश में लैंडिंग की अनुमति नहीं मिल रही थी. उसको आखिरी सोवियत नागरिक भी कहा गया. आइए जानते हैं इस पूरी कहानी को विस्तार से.
ये काहानी है सर्गेई क्रिकालेव की जिनका जन्म साल 1958 में सोवियत संघ के लेनिनग्राद शहर में हुआ था जिसे अब सेंट पीटर्सबर्ग कहा जाता है.उन्होंने साल 1981 में लेनिनग्राद मैकेनिकल इंस्टीट्यूट से मैकेनिकल इंजीनियरिंग विषय में स्नातक तक की पढ़ाई की और चार साल की ट्रेनिंग के बाद वह एक अंतरिक्ष यात्री बन गए. साल 1988 में वह पहली बार एमआईआर स्पेस स्टेशन (मीर अंतरिक्ष केंद्र) पहुंचे थे.
ये काहानी है सर्गेई क्रिकालेव की 18 मई, साल 1991 की, जब क्रिकालेव सोयूज़ स्पेस क्राफ़्ट में बैठकर पांच महीने लंबे मिशन पर एमआईआर स्पेस(मीर स्पेस) स्टेशन पहुंचे थे. उनके साथ सोवियत संघ के एक अन्य वैज्ञानिक अनातोली अर्टेबार्स्की और ब्रितानी वैज्ञानिक हेलेन शरमन भी गई थीं. उनका विमान कज़ाकिस्तान के बैकानूर अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ था. यह उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा थी.
सर्गेई क्रिकालेव को मीर स्पेस स्टेशन में कलपुर्जो की मरम्मत और स्पेस की नियमित देखभाल की जिम्मेदारी मिली थी. उस समय तक मीर स्पेस पुरे विश्व में अंतरिक्ष अभियानों के क्षेत्र में सबसे बड़ी ताकत बन चूका था. इसी स्पेस केंद्र से एक कुत्ते लाइका को अंतरिक्ष यात्रा में भेजा गया था, और पहले इंसान यूरी गैगरिन को 1961 में अंतरिक्ष में पहुचाने का काम भी किया.
सर्गेई क्रिकालेव अपना कार्य पूरी लगन और मेहनत के साथ कर रहे थे, उन्हें स्पेस से अपना देश और पूरी पृथ्वी के चित्र में कोई अंतर नहीं दिख रहा था, मगर उनके देश में बड़ी राजनितिक उथल पुथल चल रही थी. राष्ट्रपति गोर्बाचेव देश को एक करने में विफल रहे और देश 15 भागो में टूट गया था. सर्गेई क्रिकालेव के देश का दुनिया के नक़्शे से नामोनिशान मिट चूका था. उन्हें इसकी कोई खबर नहीं थी.
लेकिन जब उन्हें अपने तय सीमा से अधिक समय तक स्पेस में रहने के दौरान पता चला कि उनका देश बचा ही नहीं है, यह जानकार भी वे अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे. उन्होंने 5 महीने अधिक कुल 10 महीने स्पेस में कर्तव्य को निभाया. स्पेस में रहना इतना आसान नहीं होता, खतरनाक रेडिएशन से कैंसर होने का डर बना रहता है, सांस की समस्या होती है. लगातार स्पेस में रहने से उनका शरीर कमजोर होते जा रहा था और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी. उन्हें अपने देश में लैंडिंग की अनुमति भी नहीं मिल रही थी. इसके बावजूद उन्होंने स्पेस में अपना बड़ा योगदान दिया.
अंतरिक्ष अभियानों की इतिहासकार कैथलीन लेविस, क्रिकालेव द्वारा अंतरिक्ष में बिताए गए लंबे वक़्त की ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि वे रेडियो का इस्तेमाल करके धरती पर मौजूद उन आम लोगों से बात करते थे जिन्हें उनकी फ़्रीक्वेंसी मिल जाती थी. लेविस कहती हैं, “उन्होंने इस तरह दुनिया भर में अनौपचारिक रिश्ते बनाए.” क्रिकालेव कभी भी एमआईआर स्पेस स्टेशन में अकेले नहीं थे, लेकिन वह काफ़ी प्रसिद्ध थे. लेविस कहती हैं, “स्पेस स्टेशन पर वह अकेले नहीं थे. लेकिन रेडियो पर सिर्फ़ वही बात कर रहे थे.”इतिहासकार लेविस मानती हैं कि अंतरिक्ष केंद्र में उनके साथ एक अन्य सोवियत नागरिक एलेक्ज़ेंडर वोल्कोव थे. लेकिन क्रिकालेव ही दुनिया भर में ‘अंतिम सोवियत नागरिक’ के रूप में चर्चित हुए.
कहते है कि सर्गेई क्रिकालेव की अपनी पत्नी से रेडियो फ़्रीक्वेंसी के जरीय बात होती थी लेकिन उन्होंने कभी भी सर्गेई क्रिकालेव को देश के ख़तम हो जाने के विषय में नहीं बताया था. क्यूंकि वह चाहती थी कि उनके पति को यह जानकर तनाव ना हो. लेकिन क्रिकालेव को रेडियो फ़्रीक्वेंसी के जरीय दुनियाभर में आम लोगो से बातचीत के दौरान यह बात पता चल चुकी थी, इससे पता चलता है कि वे एक महान और कर्तव्य का पालन करने वाले इंसान है.
जब सर्गेई क्रिकालेव दस महीनों का लंबा वक़्त गुज़ारकर वापस धरती पर उतरे तो उनके देश का नाम दुनिया के नक्शे से मिट चुका था. लेकिन अपने इस मिशन की वजह से वे दुनिया भर में ‘सोवियत संघ के अंतिम नागरिक’ के रूप में चर्चित हुए हैं.