आचार्य विमलसागरजी महाराज का आचार्य पदारोहण दिवस एवं “अंकलीकर पुरस्कार-2023 अलंकरण समारोह”
ऋषभ विहार, दिल्ली में विराजित आचार्य श्री आदिसागरजी अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश प्राकृताचार्य श्री सुनीलसागरजी गुरुदेव (ससंघ) के सानिध्य में परम पूज्य वात्सल्यमूर्ति आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज का 63 वां ‘आचार्य पदारोहण दिवस’ मनाया गया। सर्व प्रथम धर्मसभा का शुभारंभ मंगलाचरण के माध्यम से हुआ। पधारे हुये सम्माननीय अतिथियों ने दीपप्रज्वलन एवं चित्र अनावरण की मंगल क्रियाऐं संपन्न की और पूज्य आचार्य श्री के चरणकमलों को प्रक्षालन कर चरण धूलि को मस्तक पर लगाकर सौभाग्य जगाया। पं. टीकमचंद जैन ने विनयांजलि समर्पित की।
मुनिकुंजर ज्येष्ठाचार्य 108 आचार्य आदिसागर अंकलीकर महाराज के 111वें दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर परमपूज्य तपस्वीसम्राट आचार्य श्री सन्मतिसागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनीलसागर जी महाराज की प्रेरणा से स्थापित आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) अन्तर्राष्ट्रीय जागृति मंच मुंबई द्वारा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार में अपने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों एवं मुनिकुंजर आचार्य श्री आदिसागर अंकलीकर परम्परा के उन्नयन में योगदान करने वाले विद्वानों, पत्रकारों, जैन विद्या के अनुसंधानकर्ताओं और समाजसेवा में तथा त्यागी – व्रती सेवा में उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रतिष्ठित पाँच अंकलीकर पुरस्कार निम्नांकित विशिष्ट व्यक्तित्वों प्रदान किये गए।
- “आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) विद्वत् पुरस्कार” – पण्डित प्रो. वीरसागर जैन, निवासी दिल्ली को प्रदान किया गया
- “आचार्य महावीरकीर्ति लोकसेवा विधिक पुरस्कार” – न्यायमूर्ति विमला जैन निवासी भोपाल को प्रदान किया गया
- “आचार्य विमलसागर शोधानुसंधान पुरस्कार” – डॉ. किरीट जैन गांधी, निवासी घाटोल (राजस्थान) को प्रदान किया गया
- ‘‘तपस्वीसम्राट् आचार्य सन्मतिसागर पत्रकारिता पुरस्कार’’ – श्री शैलेन्द्र जैन ‘अप्रिय’ (संस्थापक एवं समूह सम्पादक – अमर भारती मीडिया समूह) निवासी दिल्ली को प्रदान किया गया
- “प्रथमगणिनी आर्यिका श्री विजयमती त्यागी सेवा पुरस्कार” – श्री दिगम्बर जैन महिला आश्रम विद्यालय एवं छात्रावास, सागर को प्रदान किया गया
इन पुरस्कारों के अन्तर्गत प्रत्येक पुरस्कृत विशिष्ट व्यक्तित्व को स्मृतिचिह्न, सम्मान पत्र, शॉल, श्रीफल एवं इक्यावन हजार रु. की नक़द राशि प्रदान कर सत्कार किया गया। मंच संचालन महेंद्र जैन ‘मनुज’ ने किया।
विराट धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि किसी का पैर खींचने से अच्छा है, किसी का हाथ खींचो। क्या पता कोई अपना ही ऊपर आ जाये। भगवान महावीर ने जीओ और जीने का संदेश दिया। अहिंसा, सदाचार और शाकाहार ही जीवन जीने की सच्ची पद्धति है। किसी के दु:ख में मदद करना तो ही जीवन सार्थक है। डराना धमकाना तो जीवन व्यर्थ है, परंतु किसी के मुख पर मुस्कान लाना अर्थ है। ना किसी को डराएं, ना किसी को दबाएं। हम एकदूसरे की भावनाओं को समझें। अनेकांतात्मक दृष्टि रखेंगे तो ना कोई बड़ा, ना कोई छोटा है। अनेकांत से विचार करेंगे तो सभी समस्या का समाधान हो सकता है। इसलिए कहते हैं कि किसी का पैर मत खींचो, खींचना है तो हाथ खींचो और उसे आगे बढ़ाओ। वर्तमान में बिखरते परिवारों और बुजुर्गों की उपेक्षा पर आचार्य श्री ने कहा कि जरूरी नहीं कि वंश का अंश परमहंस हो, कंस भी हो सकता है अतः अपने परिवार के बच्चों को यथासमय संस्कारित करना चाहिए जिससे कि वह आपके बुढ़ापे में आपका सहारा बनें ना कि आपको ही बेसहारा बना दें। आचार्य सुनील सागर जी महाराज आचार्य श्री के मार्मिक प्रवचनों से उपस्थित जनसमूह जय जयकार करने लगा।
पुरस्कार अलंकरण के पश्चात ऋषभ विहार महिला मंडल एवं बालिका मंडल द्वारा भक्ति नृत्य नाटिका के माध्यम आचार्य विमलसागर महाराज के चरणों में आचार्य पदारोहण दिवस पर विनयांजलि समर्पित की। गुरु चरणों के अनुरागी संघ सेवा में हमेशा उपस्थित रहनेवाले ऋषभ विहार के बाद जिनालय के मंत्री सदस्यों ने भी
नृत्य के माध्यम से गुरु चरणों में भक्ति व्यक्त की। पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर प्रो. वीर सागर जैन ने भी अपने उदगार व्यक्त किए और कहा कि यह पुरुष्कार और सम्मान ही नहीं है अपितु आचार्य श्री का विशेष आशीर्वाद है। सुरेश जी जैन (से.नि. आइएएस) ने अंकलीकर मंच के लिए आगामी 10 वर्षों तक “प्राकृताचार्य सुनीलसागरजी प्राकृत पुरस्कार” के लिए अपने संस्थान द्वारा आवश्यक राशि की घोषणा की। आचार्य भगवन के दर्शनार्थ पंजाब केसरी समूह की सीएमडी किरण चोपड़ा पधारीं। किरण चोपड़ा ने कहा- कि ‘जैन’ धर्म नहीं, जीवन पद्धति है। हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है वह जैन धर्म सिखाता है।
तपस्वी सम्राट की जन्मस्थली के ही मूल निवासी शैलेन्द्र जैन ‘अप्रिय’ ने प्राप्त पुरुष्कार राशि में 11 लाख के योगदान को और मिलाकर ग्यारह लाख इक्यावन हजार की राशि तपस्वी सम्राट की जनस्थली फफोतू में होने जा रहे प्राचीन जिनालय के नवनिर्माण में देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नगण्य फफोतू जैन समाज तपस्वी सम्राट की पावन धरा पर आचार्य श्री के मँगल आगमन की प्रतीक्षा, कामना और आवश्यक तैयारियां कर रहा है।
इन पुरस्कारों के पुुण्यार्जक क्रमशः जयंतीलाल जी भगवती जी विनोद जी रजावत परिवार उदयपुर, सुमेरमल जी, अजयकुमार जी अरविन्द कुमार जी चूड़ीवाल परिवार, कोलकाता, तेजपालजी सुरेन्द्र जी तलाटी परिवार, नरवाली उदयपुर, नरेंद्र जी प्रेरणा जी प्राशु जी परिवार सागवाड़ा राजस्थान, एवं रिखबचंद जी अजित जी कमल जी कासलीवाल परिवार सेलम हैं। पुरस्कार प्रदानकर्ता संस्था आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) अन्तर्राष्ट्रीय जागृति मंच मुंबई के पदाधिकारियों एवं समस्त कार्यकारिणी सदस्यों ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को अपनी शुभकामनायें ज्ञापित की उनमें प्रमुख हैं- अजीत जी कासलीवाल- अध्यक्ष, कमल जी कासलीवाल-कार्याध्यक्ष, जितुभाई शाह-महामंत्री, कल्याणमल जी तलवाड़िया-कोषाध्यक्ष, भगवती जी रजावत- उपाध्यक्ष, भरत जी मिंडा-उपाध्यक्ष एवं विशाल जी कराडिया उपाध्यक्ष बने।