
भारत में 90%* लोगों को दांतों की समस्या है, लेकिन डेंटिस्ट से नियमित जांच केवल 9% लोग ही कराते हैं। इसलिए इस महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत शुरू करना और इस बारे में कार्रवाई करना आवश्यक था। मौजूदा और आदर्श व्यवहार के बीच के अंतर को दूर करने के लिए कोलगेट ने नवंबर 2024 में ओरल हेल्थ मूवमेंट शुरू किया। इस पहल में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से लाखों भारतीयों को सशक्त बनाया गया। उन्हें अपने मोबाइल फोन से ओरल हेल्थ की जांच करने में समर्थ बनाया गया, तथा इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) के साथ साझेदारी में 50,000 डेंटिस्ट्स का नेटवर्क विकसित किया गया, ताकि उनका फ्री डेंटल चेक-अप किया जा सके।
- 2019 में कांटार द्वारा किया गया डेंटल कैम्प अध्ययन।
कोलगेट ओरल हेल्थ मूवमेंट में, पूरे देश में 4.5 मिलियन से अधिक भारतीयों की ओरल हेल्थ की जांच की गई। यह जांच 700 से अधिक जिलों के 18,000 से अधिक पिन कोड में हुई। जिन लोगों की जांच की गई, उनमें से 1/6 लोग स्क्रीनिंग के बाद डेंटिस्ट के पास गए (आईडीए डेटा)। इससे प्रदर्शित होता है कि इस मूवमेंट ने भारतीयों को कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।
इसके अलावा, पूरे देश में चले इस मूवमेंट ने भारत में ओरल हेल्थ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन मुख्य क्षेत्रों को उजागर किया, जिन पर तुरंत ध्यान दिए जाने और कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है। इन निष्कर्षों से देश में ओरल हेल्थ के अभियानों का भविष्य तय होगा।
कोलगेट के ओरल हेल्थ मूवमेंट में भाग लेने वाले लोगों के आधार पर, भारत में औसत ओरल हेल्थ स्कोर 5.0 में से 2.6 है।
ओरल हेल्थ स्कोर में कैविटी, मसूड़ों की समस्या और दाग-धब्बों के जोखिम का आकलन करके व्यक्ति की ओरल हेल्थ के बारे में ठोस व व्यक्तिगत जानकारी दी जाती है। जिन लोगों का ओरल हेल्थ स्कोर ज्यादा रहा, उनमें एक आदत समान थी कि वो सभी एक विशेष सेहतमंद दिनचर्या का पालन करते थे। इसमें दिन में दो बार ब्रश करना, कैफीन और शुगर वाले बेवरेज कम लेना, स्वस्थ और पौष्टिक खाना लेना तथा तंबाकू से परहेज करना शामिल था।
इस मूवमेंट में प्राप्त हुए ओरल हेल्थ के मुख्य नतीजे निम्नलिखित हैं:
41% लोगों के दांतों में कैविटी का बड़ा खतरा है। 44% को मसूड़ों की समस्या है और 14% के दांतों में दाग-धब्बे हैं।
72% भारतीयों को ओरल हेल्थ की कम से कम समस्या का बहुत अधिक जोखिम है, जबकि 4% को तीनों (कैविटी, मसूड़ों की समस्या, दाग-धब्बे) का जोखिम है।
जांच में शामिल 4.5 मिलियन भारतीयों में से केवल 10% को ही 5/5 का डेंटल हेल्थ स्कोर मिला।
आयु वर्गों और क्षेत्रों के अनुसार अलग-अलग रुझान सामने आए:
50 वर्ष से अधिक उम्र के 60% से अधिक भारतीयों को मसूड़ों की समस्याओं का जोखिम अधिक है।
पूर्वी भारत में दांतों पर दाग होने के मामले अधिक पाए गए, जिसका मुख्य कारण तंबाकू का सेवन है।
केरल, झारखंड और राजस्थान में कैविटी के मामले अधिक मिले। यहाँ 50% से अधिक लोगों को इसका जोखिम ज्यादा था।
दो प्रमुख आबादियों में कैविटी का खतरा अधिक पाया गया: 3-12 वर्ष की आयु के 50% बच्चों और 64 वर्ष से अधिक आयु के 72% व्यस्कों को इसका खतरा है। इन समूहों पर विशेष ध्यान दिए जाने और इसकी रोकथाम किए जाने की आवश्यकता है।
अध्ययन में शामिल 4.5 मिलियन लोगों में से, 24% को सबसे कम 1 का स्कोर मिला।
इन नतीजों तथा भारत में ओरल हेल्थ के बारे में बातचीत को बढ़ावा देने के लिए, कोलगेट ने आज नई दिल्ली में ‘ओरल हेल्थ मूवमेंट समिट’ का आयोजन किया। इस समिट में भारत सरकार के माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, श्री जे.पी. नड्डा तथा ओरल केयर के क्षेत्र में अन्य प्रतिष्ठित लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें भारत में ओरल हेल्थ की स्थिति पर गहन चर्चा हुई।
समिट में उपस्थित कोलगेट-पामोलिव (इंडिया) लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ सुश्री प्रभा नरसिम्हन ने कहा, “कोलगेट 87 वर्षों से अधिक समय से, भारत का सबसे भरोसेमंद ओरल केयर ब्रांड है। इसका विकास इनोवेशन और विज्ञान की विरासत के साथ हुआ है। ओरल हेल्थ की रक्षा करना आसान व किफायती है