मैक्सवेल की ऐतिहासिक पारी ना सिर्फ क्रिकेट बल्कि जीवन जीने का तरीका भी सिखाती है, कि जीवन मे कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों ना आ जाए हार कभी नही मानना चाहिए. बस कर्म करते रहो परिणाम पर आपका अधिकार नही है. केवल कर्म पर अधिकार है. अतः कर्म करते रहे सफलता अवश्य मिलेगी बशर्ते दूसरे छोर पर क्यूमिन्स जैसा साथी मददगार हो.
कल के मैच में जितनी महत्वपूर्ण पारी मैक्सवेल की थी उतनी ही क्यूमिन्स की भी थी यदि वह दूसरे छोर पर ना टिकते तो मैक्सवेल भी क्या कर लेते. यही सीख परिवार के लिए है. जब घर का कोई मेक्सवेल आगे बढ़कर कठिन परिस्थितियों से लड़ने के लिए तैयार हो तो आप केवल क्यूमिन्स बन जाइए. ये मत सोचो कि आप सक्षम नही हो आप क्या करोगे आप तो बस उसके साथ खड़े हो जाओ उसे अकेला मत छोड़ो.
जीवन मे लगभग सबके साथ ऐसे ही कठिन समय आते है जब पराजय निश्चित लगती है. बड़े बड़े विशेषज्ञ आपको हारा घोषित कर चुके होते है अनेक स्वार्थी कमजोर व्यक्तिव के लोग आपका साथ छोड़ चुके होते है. तब आपको अपने भीतर की शक्ति जगाकर प्रण लेना है कि हां मैं कर सकता हूँ हां मैं कर सकती हूँ. बस आपको मैक्सवेल बनकर वो इतिहास रचना है जो पहले किसी ने ना किया हो. लेकिन ऐसा तभी सम्भव है जब परिवार का कोई सदस्य रिश्तेदार या दोस्त जाम्बवान की भूमिका में आ जाए. क्यूमिन्स कल के जाम्बवान ही तो थे. यदि ऐसा सम्भव हो जाए तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें समाप्त हो जाती है.