किसी भी विवाद का हल युद्ध से नहीं निकल सकता है, युद्ध में एक पक्ष की जीत और किसी एक पक्ष की हार निश्चित होती है. दोनों पक्षों को अपनी सेना के जवानों और नागरिको की जान माल की हानि होती है. अतीत के पन्नो से सीख लेना चाहिए कि युद्ध सिर्फ और सिर्फ तबाही लेकर आता है.
हर देश के नागरिको के लिए युद्ध से एक सीख लेने वाली बात यह है कि उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को नागरिको की भलाई के लिए अपने निर्णय लेने का अधिकार होता है. अगर प्रतिनिधि अच्छे हैं तो देश के नागरिको के हितो की रक्षा करेंगे, अन्यथा देश को संकट की स्थिति में पहुंचा देंगे.
हम सब नागरिक अपने मताधिकार का सौ प्रतिशत उपयोग नहीं करते हैं, जिससे देश में ऐसे प्रतिनिधियों का प्रवेश हो जाता है, जिनके कारण देश में गरीबी, भ्रष्टाचार, अपराध और युद्ध का माहौल बना रहता है. समझदार प्रतिनिधि हमेशा देश को इन संकटों से दूर रखते हैं.
विश्व के अधिकतर राजनीतिक दल अपने निजी स्वार्थ के लिए राजनीति में प्रवेश करते हैं, जो जनता को मुफ्त बिजली, पानी, लैपटॉप आदि का वादा कर, अधिकतर नागरिको से वोट प्राप्त कर, सत्ता में काबिज हो जाते हैं. जिससे ऐसे राजनीतिक दल अपने गैर जिम्मेदार निर्णयों के कारण देश को संकट में धकेल देते हैं.
हम सब नागरिको की गलती के ही कारण, हमारे प्रतिनिधि हमारे देश को युद्ध जैसे भीषण संकट में धकेल देते हैं. जितना हो सके युद्ध से बचना चाहिए. जैसे हमास ने इजराइल पर आतंकी हमला करके पूरे फिलिस्तीन को खतरे में लाकर खड़ा कर दिया, जिससे दोनों देश के अधिकतर आम नागरिको को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
हम फिलिस्तीन और इजराइल के धार्मिक मामलो में नहीं जाते हैं, लेकिन इतना कहना चाहेंगे कि उनके बीच 35 एकड़ की जगह के लिए विवाद है, जिसको यहूदी हर-हवाइयत या फिर टेंपल माउंट कहते हैं. जबकि मुस्लिम इसे हरम-अल-शरीफ बुलाते हैं. ये दोनों के लिए पवित्र स्थान है, यह स्थान ईसाई धर्म के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण हैं. तीनो धर्मो के विवादों का हल सिर्फ और सिर्फ शांति वार्ता से ही निकल सकता है. जिसे तीनो पक्षों को समझना होगा, अन्यथा सभी पक्षों को जान माल की हानि के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला है.
जब भी नागरिको के प्रतिनिधियों द्वारा कोई भी ऐसा अनुचित निर्णय लिया जाता है तो सभी नागरिको को उसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है. इसलिए सभी नागरिको को बुराई के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. मगर यह बात हर नागरिक नहीं समझता है, उसे यह बात तभी समझ आती है, जब उसपर उस बुराई का दुष्परिणाम पड़ता है.
हमास एक आतंकी संगठन है, जो सिर्फ और सिर्फ आतंक पर भरोसा करता है. हमास के आतंकियों ने इजराइल पर आतंकी हमले से पूरे फिलिस्तीन को खतरे में डाल दिया है. फिलिस्तीन में ऐसे भी लोग होंगे जो आतंक पर भरोसा नहीं करते होंगे, लेकिन हर देश में नागरिको की ओर से निर्णय, सत्ताधारी दल लेते हैं. जब सत्ताधारी दल द्वारा अनुचित निर्णय लिया जाता है तो उसके दुष्परिणाम सभी नागरिको को झेलना पड़ता है. इसलिए अब समय आ गया है कि विश्व के सारे देशो के नागरिक एक होकर बुराई के खिलाफ आवाज उठाए, न कि परिस्थिति के अत्यधिक ख़राब होने का इंतज़ार करना चाहिए.
इजराइल के नागरिको ने हिटलर के समयकाल से बहुत बुरा समय देखा है, उनके 60 लाख यहूदियों का कत्लेआम हिटलर द्वारा करवा दिया गया था. अरब देशो का कहना है कि इजराइल ने फिलिस्तीन में कब्ज़ा किया है और इजराइल का कहना है कि यह स्थान से उनका संबंध 2000 वर्ष पुराना है. कारण जो भी हो, सबको वर्तमान परिस्थिति को समझना जरुरी है. दोनों के लिए अपना देश जरुरी है. इजराइल के लिए इजराइल और फिलिस्तीन के लिए फिलिस्तीन. ऐसा कौन सा धर्म कहता है कि किसी एक विशेष धर्म को ख़त्म कर अपना धर्म काबिज करो. अगर ऐसा कोई धर्म कहता है तो वो धर्म हो ही नहीं सकता है.
सबको भारत से सीख लेने की जरुरत है, कभी पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी भारत का हिस्सा थे. लेकिन भारत ने सभी धर्मो को महत्वता दी, कभी किसी धर्म विशेष को समाप्त कर अपना धर्म काबिज करने की नहीं सोची. हमने यह उदाहरण इसलिए दिया ताकि पहले के सारे गिले शिकवे भुला कर, अरब देशो और इजराइल को शांति वार्ता से ही अपने विवादों का हल निकालना चाहिए.